Thursday, 17 November 2011

छह सप्ताह में निकाय चुनाव कराए उत्तर प्रदेश

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को स्थानीय निकाय चुनाव की अधिसूचना बुधवार (16 नवंबर) तक हर हाल में जारी करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि यदि संभव हो तो वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर, अन्यथा वर्ष 2001 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर चुनाव कराए जाएं। राज्य निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता रविकांत ने कोर्ट को बताया कि चुनाव प्रक्रिया पूरी होने में छह सप्ताह का समय लग सकता है जिस पर कोर्ट ने इस अवधि (छह सप्ताह) में चुनाव प्रक्रिया पूरी करने के आदेश दिए हंै। यह आदेश न्यायमूर्ति अमिताव लाला तथा न्यायमूर्ति वीके माथुर की खंडपीठ ने दिए। इसमें जनगणना विभाग की अर्जी सहित अन्य अर्जियों को एक साथ निस्तारित किया गया। अजीत जायसवाल की याचिका को स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने 31 अक्टूबर 2011 को अधिसूचना जारी करने तथा युद्धस्तर पर वार्डो का परिसीमन व आरक्षण प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया था। साथ ही जनगणना विभाग को वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़े यथा शीघ्र राज्य सरकार को सौंपने का आदेश दिया था। भारत सरकार के अपर सॉलीसिटर जनरल अशोक निगम व मनोज शर्मा ने जनगणना विभाग की तरफ से न्यायालय के 19 अक्टूबर को जारी आदेश के पालन करने में तकनीकी अड़चनों के कारण असमर्थता व्यक्त की और आदेश को संशोधित करने की मांग की। कहा कि चुनाव कराने के लिए वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़े बाधक नहीं है। सरकार के पास मतदाता सूची आदि उपलब्ध है, वह संविधान की मंशा के अनुरूप चुनाव करा सकती है। याची अधिवक्ता केशरीनाथ त्रिपाठी ने सरकार पर चुनाव को टालने का आरोप लगाते हुए न्यायालय से निकायों के चुनाव तत्काल कराए जाने की मांग की। वरिष्ठ अधिवक्ता नवीन सिन्हा का कहना था कि जनगणना विभाग की शिथिलता के चलते वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़े सरकार को उपलब्ध नहीं कराए गए। विभाग कंप्यूटरीकृत प्रक्रिया के जरिए यथाशीघ्र आंकड़े उपलब्ध करा सकता है। राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता जयदीप माथुर व मुख्य स्थायी अधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने न्यायालय के आदेश के अनुपालन का आश्र्वासन दिया और चुनाव के लिए जरूरी कानूनी व सांविधानिक मुद्दों की तरफ कोर्ट का ध्यान आकृष्ट किया। न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद बुधवार 16 नवंबर को अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया। याची का कहना था कि निकाय चुनाव कार्यकाल पूरा होते ही कराए जाने की सांविधानिक बाध्यता है, इसलिए 15 नवंबर तक हर हाल में चुनाव हो जाना चाहिए था।
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