नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : सिटिजन चार्टर लागू हुए दो महीने हो गए, लेकिन अभी तक देरी होने पर एक भी अधिकारी या कर्मचारी पर जुर्माना नहीं लगाया गया। सरकार की ओर से 16 विभागों की 44 सेवाओं में तय समय सीमा में कार्य न होने पर भुगतान के लिए विभागीय दफ्तरों को जुर्माना कोष भी दिया गया है। इस कोष में से अभी तक एक भी रुपया खर्च नहीं हुआ है। आंकडे़ दर्शाते हैं कि सरकारी दफ्तरों में 6884 मामलों में देरी हुई है। दिल्ली सरकार ने 15 सितंबर 2011 को राजधानी में सिटिजन चार्टर लागू किया था। इसमें ड्राइविंग लाइसेंस, गाड़ी रजिस्ट्रेशन, जाति, जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र और राशनकार्ड बनवाना आदि शामिल है। सरकारी आंकडे़ बताते हैं कि 15 नवंबर तक विभिन्न सेवाओं के लिए 3,37,342 आवेदन आए। इनमें से 3,23,363 का समय पर निपटारा कर दिया गया और निर्धारित समयावधि के तहत 7,095 आवेदनों पर कार्य चल रहा है। बाकी के 6884 मामलों में देरी हुई। दिल्ली आइटी विभाग के सचिव राजेंद्र कुमार ने बताया कि सरकार की ओर से सिटिजन चार्टर के तहत सभी सेवा कार्यालयों में ढाई से चार हजार रुपये तक का कोष भुगतान के लिए रखा है। तय समय सीमा पर आवेदनकर्ता का कार्य पूरा न हो तो वह विभागीय अधिकारी से विलंब शुल्क मांगेगा। यह जुर्माना राशि 10 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से अधिकारी को भुगतान करनी होगी। उसके बाद अधिकारी जांच करेगा कि देरी की वजह क्या है? जांच में अगर कोई कर्मचारी दोषी पाया जाता है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई होगी और जुर्माना उससे वसूला जाएगा। अगर कोई तकनीकी खामी होगी तो जुर्माने का भार सरकारी कोष पर रहेगा।