धर्मेद्र यादव, सिरसा विश्वविद्यालयों के स्टडी सेंटर स्थापित व संचालन करने के लिए यूजीसी ने नियमों को और कड़ा किया है। अब स्टडी सेंटर संचालित करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी। यूजीसी ने यह कदम स्टडी सेंटर के नाम पर चल रहे फर्जीवाडे़ के खिलाफ यहां के एक शिक्षक की पांच साल की मुहिम के बाद उठाया है। गौरतलब है कि दूसरे राज्यों के कई विश्वविद्यालयों के स्टडी सेंटरों में फर्जीवाडे़ के किस्से आम रहे हैं। इनके परीक्षा केंद्रों के संबंध में शिक्षा विभाग तो दूर, जिला प्रशासन को भी पता नहीं होता था। अमूमन शहर के किसी छोटे से स्कूल में परीक्षा केंद्र बनाया जाता रहा है। छापे मारकर कई ऐसे केंद्रों की कारगुजारी का भंडाफोड़ भी किया गया है। वर्ष 2006 में इस तरह के सेंटरों के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले यहां के शिक्षाविद् करतार सिंह का कहना है कि इन पांच वर्षो के दौरान परीक्षा के नाम पर दुकान चलाने वाले सेंटरों के खिलाफ प्रदेश के सभी जिलों के पुलिस कप्तान के कार्यालयों में शिकायतें भेजी हैं। नियमों में स्पष्टता के अभाव में ज्यादातर शिकायतें आज भी ठंडे बस्ते में पड़ी हैं। केवल उकलाना और भट्टू में प्राथमिकी दर्ज हो पाई। 28 मई को राज्य की मुख्य सचिव उर्वशी गुलाटी को करतार सिंह ने ई-मेल के माध्यम से मामले से अवगत कराया। तीन दिन बाद मुख्य सचिव ने अधिकारियों को फर्जीवाड़ा रोकने के लिए कारगर नियम बनाने और करतार सिंह के सुझाए सुझाव पर भी गौर करने को कहा। 18 अगस्त को यूजीसी की अंडर सेके्रटरी उमा बाली की ओर से करतार सिंह को भेजे गए पत्र में बताया गया है कि दूसरे राज्यों के विश्वविद्यालयों के स्टडी और एग्जाम सेंटर खोलने से पहले राज्य सरकार से अनुमति अनिवार्य है। इसके लिए शिक्षा विभाग नियमों में जरूरी संशोधन भी करे। यूजीसी ने निर्देश की एक कापी उच्चतर शिक्षा विभाग के उप निदेशक को भी भेजी है।