चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो : प्रदेश के कॉलेजों में शारीरिक शिक्षा की पढ़ाई बंद करने संबंधी फैसले के विरोध के कारण राज्य सरकार ने इसे अगले शिक्षा सत्र से फिर से शुरू करने का भरोसा दिलाया है। सरकार ने दलील दी है कि शिक्षकों की कमी के कारण इस विषय की पढ़ाई बंद की गई थी। जल्द ही नए पदों पर भर्ती की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अगले साल शारीरिक शिक्षा की पढ़ाई दोबारा चालू की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के उच्चतर शिक्षा विभाग ने वर्ष 2011-12 के शिक्षा सत्र में कॉलेजों में शारीरिक शिक्षा की पढ़ाई बंद करने का निर्णय लिया था। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों के मुताबिक 1500 कर्मचारियों के अनुपात में एक शारीरिक शिक्षा के अध्यापक की नियुक्ति अनिवार्य है। प्रदेश के कॉलेजों में 90 शारीरिक शिक्षक हैं। शिक्षक नेताओं की दलील है कि खेलों को प्रोत्साहित करने वाले राज्य में शारीरिक शिक्षा विषय की पढ़ाई बंद करना समझ से परे की बात है। कुछ शिक्षकों की यह भी दलील है कि शारीरिक शिक्षा मेडिकल व नान मेडिकल विषयों के समकक्ष है। प्रिंसिपल नहीं चाहते कि शारीरिक शिक्षा का पूरा संकाय विकसित किया जाए। इसलिए उच्चतर शिक्षा विभाग के साथ बैठक में वे इस विषय को बंद करने पर राजी हो गए। हरियाणा सरकारी कालेज शिक्षक संघ (एचजीसीटीए) के अध्यक्ष राजेंद्र भंवरिया का कहना है कि शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल, वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव एसएस प्रसाद, मुख्यमंत्री के ओएसडी एमएस चोपड़ा और नए निदेशक विनीत गर्ग से हुई बातचीत में भरोसा दिलाया गया है कि जल्द ही 650 पदों पर कॉलेजों में भर्ती प्रक्रिया पूरी होने वाली है। कॉलेजों में इस समय 1200 पद रिक्त पड़े हैं। लिहाजा यह भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद अगले साल शारीरिक शिक्षा का विषय फिर से चालू कर दिया जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष के अनुसार शिक्षा मंत्री के भरोसे पर उनका संगठन फिलहाल चुप है, लेकिन अगले शिक्षा सत्र से इस भरोसे को कायम नहीं किया गया तो जोरदार आंदोलन चलाया जाएगा।