नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो : राज्य सरकार को सोमवार को सुप्रीमकोर्ट से बड़ा झटका लगा। सुप्रीमकोर्ट ने अनुसूचित जाति को आरक्षण में आरक्षण देने के मामले में हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया है। हालांकि मुख्य मामला अभी लंबित है। वर्ष 1994 में हरियाणा सरकार ने अधिसूचना जारी कर अनुसूचित जाति वर्ग को ए और बी दो श्रेणियों में विभाजित कर दिया था। पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने जुलाई 2006 में आरक्षण में आरक्षण देने वाली राज्य सरकार की यह अधिसूचना रद कर दी थी। हाईकोर्ट के फैसले को हरियाणा सरकार व हरियाणा धनक सेवा समिति ने सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी है। सोमवार को याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने कहा कि मुख्य याचिकाओं पर निपटारा होने तक हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी जाए। राज्य सरकार की दलील थी कि राज्य में कुछ जातियों को सही प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा था इसकी पहचान के लिए आयोग गठित व सर्वे हुआ था। आयोग की सिफारिश के बाद राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी की थी। उन्होंने कहा कि ऐसा कानून पंजाब में भी है और उसमें सुप्रीमकोर्ट में अपील लंबित है। साथ ही सुप्रीमकोर्ट ने अंतरिम रोक भी लगा रखी है। जबकि दूसरी ओर गुरु रविदास महासभा व एक अन्य पक्षकार की ओर से पेश वकील संजीव सिंह ने राज्य सरकार का भारी विरोध किया। उन्होंने कहा कि ईवी चिन्नैया के मामले में सुप्रीमकोर्ट की संविधानपीठ आरक्षण में आरक्षण को गैरकानूनी ठहरा चुकी है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायमूर्ति डीके जैन व न्यायमूर्ति एके गांगुली की पीठ ने अंतरिम रोक की मांग खारिज कर दी।