नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो : गरीबी रेखा (बीपीएल) का मानक मात्र 17 रुपये तय किए जाने पर तीखी टिप्पणियां करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने योजना आयोग से पूछा है कि दस-बीस रुपये में 2400 कैलोरी का भोजन कैसे आएगा? कोर्ट ने योजना आयोग से इस बाबत नया हलफनामा दाखिल करने को कहा है। ये टिप्पणियां न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी एवं न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की पीठ ने गरीबों को अनाज देने के मामले में सुनवाई के दौरान कीं। जैसे ही याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन पीयूसीएल के वकील कोलिन गोंसाल्विस ने कहा कि योजना आयोग ने बीपीएल कैप के बारे में हलफनामा दाखिल कर दिया है और उसमें तेंदुलकर समिति की सिफारिश के मुताबिक बीपीएल के लिए प्रति व्यक्ति, दैनिक भोजन खर्च की 17 रुपये की दर पर सहमति जताई गई है, पीठ ने योजना आयोग की ओर से पेश वकील सुनील फर्नाडीज से पूछा कि दस-बीस रुपये में क्या 2400 कैलोरी का भोजन आ जाएगा। देश में कहीं भी दस-बीस रुपये में 2400 कैलोरी का भोजन नहीं मिलेगा। पीठ के सवाल पर वकील ने कहा कि उन्हें मिले निर्देशों के मुताबिक यह दर बढ़ने वाली है। लेकिन पीठ इन दलीलों से संतुष्ट नहीं हुई और कहा कि आयोग दो सप्ताह के भीतर अतिरिक्त हलफनामा दाखिल कर इस पर जवाब दे। वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार ने अर्जी दाखिल कर जननी सुरक्षा योजना के बाबत दिए गए कोर्ट के पूर्व आदेश में बदलाव का अनुरोध किया। सरकार ने कहा कि आदेश के उस अंश में बदलाव किया जाए जिसमें कहा गया है कि जननी सुरक्षा योजना का लाभ सभी को दिया जाएगा। इसमें महिला की उम्र या बच्चों की संख्या का फर्क नहीं पड़ेगा। हालांकि गोंसाल्विस ने केंद्र की अर्जी का जोरदार विरोध किया और कहा कि योजना का लाभ नवजात शिशु के लिए है। इसे महिला की उम्र या बच्चों की संख्या में सीमित नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि ऐसे तो केंद्र सरकार तीसरे बच्चे के जन्म पर योजना का लाभ देने से मना कर देगी या फिर बाल विवाह वाली माताओं को कम उम्र का होने के आधार पर लाभ से वंचित कर देगी। पीठ ने गोंसाल्विस से अर्जी का जवाब दाखिल करने को कहा है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर जस्टिस वाधवा की रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश हुई। कोर्ट ने रिपोर्ट और अर्जी पर जवाब के लिए समय देते हुए मामले की सुनवाई 18 अगस्त तक स्थगित कर दी।