Tuesday, 14 June 2011

एक ही दिन में आई स्पेशलिस्ट बने टीचर!

रोहित जिंदल, बठिंडा स्वास्थ्य विभाग का अजीब कारनामा सामने आया है। महज एक दिन स्कूल के मास्टरों की ट्रेनिंग देकर उन्हें आई स्पेशलिस्ट बना दिया और थमा दी बच्चों की आंखें जांच करने की जिम्मेदारी। यह मजाक हो रहा है सरकारी व अर्ध सरकारी (एडेड) स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के साथ। प्रत्येक स्कूल के एक-एक मास्टर को यह जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग ने राष्ट्रीय ग्रामीण सेहत मिशन के तहत चलने वाले स्कूल हेल्थ प्रोग्राम में दी है। स्कूलों में मास्टर जी के पास नजर चेक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने आई टेस्टिंग चार्ट थमा रखे हैं, ताकि रोजाना मास्टर जी स्कूल के बच्चों से उक्त चार्ट पढ़ाएंऔर डाक्टरों की तरह पता करें कि किस बच्चे की नजर कमजोर है। अब ऐसे में बहुत से बच्चे उक्त प्रोग्राम के तहत मिलने वाली सुविधा से वंचित भी रह सकते हैं, क्योंकि जिन विद्यार्थियों की नजर कमजोर होती है उन्हें विभाग की तरफ से मुफ्त ऐनक बनाकर दी जाती हैं और जरूरी नहीं कि आधे-अधूरे ज्ञान की बदौलत मास्टर जी हर ऐसे बच्चे को तलाश सकें जिसकी नजर कमजोर है। ग्रामीण क्षेत्र वाले बच्चे इस धक्के का ज्यादा शिकार होते हैं और इस सच को तो अधिकारी भी मानते हैं, क्योंकि ग्रामीण इलाकों में बहुत से बच्चे पढ़ाई में राम भरोसे होने के कारण उक्त चार्ट को ही नहीं पढ़ पाते। अब ऐसे में मास्टर जी क्या करेंगे यह राम भरोसे है। टीचर्स के बाद डाक्टर करते हैं चेक जिला शिक्षा अधिकारी (सेकेंडरी) हरबंस सिंह संधू ने कहा कि टीचर्स को पता होता है कि किस बच्चे की नजर कमजोर है और उसे टीचर द्वारा चेक करने के बाद उचित जांच के लिए अस्पताल में डाक्टर के पास ले जाया जाता है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने टीचर्स को एक दिवसीय ट्रेनिंग भी दी थी। पहचान करने को दिए थे चार्ट स्वास्थ्य विभाग के प्रिंसिपल सचिव सतीश चंद्रा का कहना है कि टीचर्स को तो मात्र कमजोर नजर वाले बच्चों को पहचान कर मुफ्त ऐनक के लिए सरकारी अस्पताल लाना है, इसीलिए टीचर्स को आई टेस्ंिटग चार्ट दिए गए हैं।
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