Saturday, 9 April 2011

बुरे फंसे भावी गुरुजी

सतीश चौहान, कुरुक्षेत्र कुवि से ऑनर्स स्नातक कर बीएड करने वाले छात्रों के सामने अब ठोकरें खाने के अलावा कोई चारा नही बचा है। एक ओर तो निजी बीएड कॉलेजों द्वारा लेक्चरर की कमी के कारण इन छात्रों को उनका विषय बीएड में नहीं दिया जाता। अगर वह कॉलेजों की मानकर अन्य विषयों में बीएड करते हैं तो कुवि में एडीशनल पेपर देने का प्रावधान ही नहीं है। अब कुवि से ही बीए ऑनर्स कर चुके सैकड़ों छात्र कुवि के चक्कर काट रहे हैं। छात्रों का कहना है कि जब उनको बीएड में दाखिला दिया जाता है तो न तो विश्वविद्यालय स्तर पर इस प्रकार की जानकारी दी जाती है कि वे अपने विषय कंबिनेशन के लिए अतिरिक्त पेपर नहीं दे सकते और न ही निजी कॉलजों में यह जानकारी दी जाती। उल्टा अधिकतर निजी कॉलेजों में प्राध्यापकों की कमी के कारण दबाव दिया जाता है कि जिन विषयों के कॉलेज में प्राध्यापक हैं उन्हीं से बीएड कर ली जाए।दूसरी ओर विश्वविद्यालय में दाखिले के समय इस प्रकार की कोई जानकारी नही दी जाती। केवल दाखिला संबधी सूचनाएं ही छात्रों को दी जाती हैं। जब छात्र द्वारा अतिरिक्त पेपर भर दिया जाता है तो लिपिक ही अंतिम समय में यह जानकारी देते हैं। कई अन्य विश्र्वविद्यालयों में इस प्रकार का प्रावधान है और कैलेंडरमें संशोधन कर ये पेपर लिए जा सकते हैं। कुवि के परीक्षा नियंत्रक यशपाल गोस्वामी का कहना है कि विश्वविद्यालय के कैलेंडर में ही इस प्रकार का प्रावधान नहीं है। बीए ऑनर्स के अलावा बीए, बीकॉम और बीएससी करने वाले छात्र अतिरिक्त पेपर दे सकते हैं। नियमों के अभाव में बीएड करने वाले छात्रों को हजारों रुपये का चूना भी लग जाता है। कई बार तो कर्मचारियों द्वारा बिना देखे ही रोल नंबर भेज देने की बात भी कह दी जाती है। छात्र नीरु ने बताया कि उसके साथ भी कर्मचारियों ने यही किया। पहले रोल नंबर डाक से भेजने की बात कही गई और फिर डुप्लीकेट रोल नंबर के लिए नया फार्म भी मंगवाया गया, लेकिन बाद में फार्म देखने के बाद ही कर्मचारी को याद आया कि कुवि अतिरिक्त पेपर नही ले सकता।
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