जींद, जागरण संवाद केंद्र : प्रदेश में अतिथि अध्यापकों की भर्ती में बरती अनियमितताओं की जांच हुए छह माह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन शिक्षा विभाग उन्हें नोटिस जारी करने के अलावा कोई स्पष्ट कार्रवाई नहीं कर पाया है। जिले से लेकर निदेशालय तक के अधिकारी मामले में उच्चाधिकारियों द्वारा कार्रवाई करने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। काबिल-ए-जिक्र है कि पिछले वर्ष शिक्षा विभाग को अतिथि अध्यापकों के खिलाफ शिकायतें मिली थी। इनमें कहा गया था कि कई अतिथि अध्यापकों को बिना सब्जेक्ट कंबीनेशन, लोकल प्रार्थी न होने, योग्यता पूरी न होने और नियमों के विरुद्ध लगाया गया है। इस पर नवंबर में विभाग ने डिप्टी डायरेक्टरों को तीन से पांच जिले देकर अतिथि अध्यापकों के दस्तावेजों की जांच करवाई। डिप्टी डायरेक्टरों ने अपनी रिपोर्ट निदेशालय को सौंप दी जिनमें अतिथि अध्यापकों की नियुक्ति में कई खामियां पाई गई। इस पर संबंधित अतिथि अध्यापकों को नोटिस जारी किए गए, लेकिन आज तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। निदेशालय द्वारा गलत तरीके से लगे ऐसे अतिथि अध्यापकों को न तो हटाने और न ही उन पर वेतन की रिकवरी आदि को लेकर कोई निर्देश जारी किए हैं। ऐसे अधिकतर अतिथि अध्यापक अब भी अपने मूल पद और स्कूलों में काम कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार जींद के लगभग 50, करनाल के 40 और कुरुक्षेत्र के दो अतिथि अध्यापकों की नियुक्ति में अनियमितताएं पाई गई थीं। इसी प्रकार से अन्य जिलों में भी यही स्थिति है। विभागीय सूत्रों बताते हैं कि नोटिस जारी होने के बाद कई अतिथि अध्यापकों ने कोर्ट से स्टे आर्डर ले रखा है, जिस कारण उन पर कार्रवाई में देरी हो रही है।