चंडीगढ़
एक जनहित याचिका ने तीन साल के भीतर पंजाब पुलिस के 52 दागी पुलिस कर्मियों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इसमें चार डीएसपी स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं। हाईकोर्ट में यह मामला तीन साल से विचाराधीन है। मामले की पिछली सुनवाई पर 14 दिसंबर को हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस को कार्रवाई का आखिरी मौका दिया था। इस पर पंजाब पुलिस ने आखिरकार इन पुलिस कर्मियों को डिसमिस किया है। बुधवार को इस संबंध में पंजाब के एआईजी एमएस छिन्ना ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में कार्रवाई रिपोर्ट देकर इस बात का खुलासा किया।
जस्टिस एमएम कुमार व जस्टिस आरएन रैना ने मामले पर 15 फरवरी के लिए अगली सुनवाई तय की है। इस सुनवाई में डीजीपी के सर्कुलर की आड़ में 22 अन्य दागी पुलिस कर्मियों के नौकरी पर बने रहने पर जिरह होगी।
कार्रवाई रिपोर्ट में कहा गया कि चार डीएसपी भूपिंदर सिंह, सुखदेव सिंह, परमिंदर सिंह व अविंदरबीर सिंह को नौकरी से डिसमिस कर दिया गया है। इसके अलावा 14 पुलिस कर्मियों को अपील में दोष मुक्त किए जाने के चलते नौकरी में बनाए रखा गया है। पंजाब पुलिस डीजीपी के 18 मई 2010 के सर्कुलर को ध्यान में रखते हुए 22 पुलिस कर्मियों को नौकरी में बनाए रखा गया है। इनमें एक एसआई, दो एएसआई, नौ हेड कांस्टेबल व 10 कांस्टेबल शामिल हैं। सरकूलर के मुताबिक तीन साल या इससे कम सजा पाने वाले पुलिस कर्मियों पर नरमी बरते जाने और उन्हें डिसमिस न कर नरम सजा दिए जाने की बात कही गई है।
डीजीपी का सर्कुलर सवालों के घेरे में
याची वकील एचसी अरोड़ा ने सुनवाई के दौरान डीजीपी के उस सरकूलर पर भी सवाल उठाया है जिसकी आड़ में पंजाब पुलिस के 22 पुलिस कर्मियों को फिलहाल नौकरी से बाहर नहीं किया गया। याची ने सवाल उठाया कि इन पुलिस कर्मियों पर मेहरबानी नहीं की जानी चाहिए। मामले पर 15 फरवरी को सुनवाई होगी।
क्या है मामला
वकील एच सी अरोड़ा की तरफ से दाखिल जनहित याचिका में कहा गया कि पुलिस नियमों के अनुसार पुलिस अधिकारी को तब तक नौकरी पर नहीं रखा जा सकता जब तक उसे निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा पर अपील कोर्ट रोक नहीं लगा देती याचिका में कहा गया कि कई ऐसे पुलिस कर्मी नौकरी कर रहे हैं जिन्हें ट्रायल कोर्ट से सजा मिलने के बाद अपील में जमानत का लाभ भर ही मिला है। जमानत मिलने से कोई पुलिस अधिकारी नौकरी में रहने का हकदार नहीं है।
जस्टिस एमएम कुमार व जस्टिस आरएन रैना ने मामले पर 15 फरवरी के लिए अगली सुनवाई तय की है। इस सुनवाई में डीजीपी के सर्कुलर की आड़ में 22 अन्य दागी पुलिस कर्मियों के नौकरी पर बने रहने पर जिरह होगी।
कार्रवाई रिपोर्ट में कहा गया कि चार डीएसपी भूपिंदर सिंह, सुखदेव सिंह, परमिंदर सिंह व अविंदरबीर सिंह को नौकरी से डिसमिस कर दिया गया है। इसके अलावा 14 पुलिस कर्मियों को अपील में दोष मुक्त किए जाने के चलते नौकरी में बनाए रखा गया है। पंजाब पुलिस डीजीपी के 18 मई 2010 के सर्कुलर को ध्यान में रखते हुए 22 पुलिस कर्मियों को नौकरी में बनाए रखा गया है। इनमें एक एसआई, दो एएसआई, नौ हेड कांस्टेबल व 10 कांस्टेबल शामिल हैं। सरकूलर के मुताबिक तीन साल या इससे कम सजा पाने वाले पुलिस कर्मियों पर नरमी बरते जाने और उन्हें डिसमिस न कर नरम सजा दिए जाने की बात कही गई है।
डीजीपी का सर्कुलर सवालों के घेरे में
याची वकील एचसी अरोड़ा ने सुनवाई के दौरान डीजीपी के उस सरकूलर पर भी सवाल उठाया है जिसकी आड़ में पंजाब पुलिस के 22 पुलिस कर्मियों को फिलहाल नौकरी से बाहर नहीं किया गया। याची ने सवाल उठाया कि इन पुलिस कर्मियों पर मेहरबानी नहीं की जानी चाहिए। मामले पर 15 फरवरी को सुनवाई होगी।
क्या है मामला
वकील एच सी अरोड़ा की तरफ से दाखिल जनहित याचिका में कहा गया कि पुलिस नियमों के अनुसार पुलिस अधिकारी को तब तक नौकरी पर नहीं रखा जा सकता जब तक उसे निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा पर अपील कोर्ट रोक नहीं लगा देती याचिका में कहा गया कि कई ऐसे पुलिस कर्मी नौकरी कर रहे हैं जिन्हें ट्रायल कोर्ट से सजा मिलने के बाद अपील में जमानत का लाभ भर ही मिला है। जमानत मिलने से कोई पुलिस अधिकारी नौकरी में रहने का हकदार नहीं है।