चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो : प्रदेश सरकार ने बच्चों को निश्शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम की रक्षा की समीक्षा एवं जांच करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता (पदेन) के तहत शिक्षा का अधिकार संरक्षण प्राधिकरण गठित किया है। यह इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सरकार को उपाए सुझाने का दायित्व भी निभाएगा। शिक्षा विभाग के प्रवक्ता ने जारी बयान में बताया कि वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव, स्कूल शिक्षा, विधि परामर्शी तथा वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग इसके पदेन सदस्य होंगे। वित्त एवं श्रम विभागों के वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव इसके विशेष आमंत्री (पदेन) होंगे और एक गैर सरकारी व्यक्ति को इसका सदस्य मनोनित किया जाएगा। निदेशक प्राथमिक शिक्षा इसके पदेन सदस्य सचिव के रूप में कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि यह प्राधिकरण बच्चों के निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार से संबंधित शिकायतों की जांच करेगा और आवश्यक कदम उठाएगा। वह स्थानीय प्राधिकारी के आदेशों के विरूद्घ दायर अपीलें भी सुनेगा। स्थानीय प्राधिकारी के निर्णय से असंतुष्ट व्यक्ति स्थानीय प्राधिकारी के निर्णय के 60 दिनों के भीतर शिक्षा का अधिकार संरक्षण प्राधिकरण को सीधे अपील दायर कर सकता है। प्राधिकरण निर्णय के 60 दिनों के उपरान्त दायर अपील भी सुन सकता है यदि उसे यह संतुष्टि हो कि अपील दायर करने में हुई देरी अपीलकर्ता के नियंत्रण से बाहर थी या 60 दिनों के उपरान्त अपील सुनना न्याय के हित में है। वह सम्बन्धित पार्टियों को अपना पक्ष रखने का उचित अवसर प्रदान करने के उपरान्त ही सभी अपीलों पर निर्णय लेगा। प्राधिकरण के सभी आदेश एवं निर्णय सदस्य सचिव द्वारा या सदस्य सचिव की ओर से प्राधिकृत प्राधिकरण के किसी अन्य अधिकारी द्वारा प्रमाणित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि पीडि़त व्यक्ति का आवश्यक मार्गदर्शन करने और शिकायतों पर की जा रही कार्रवाई का निरीक्षण करने के लिए राज्य स्तर एवं जिलास्तर पर शिकायत निवारण प्रकोष्ठ स्थापित किए जाएंगे। ये प्रकोष्ठ शिकायतकर्ता की शिकायतों को दूर करने के हरसंभव प्रयास करने के साथ-साथ प्राधिकरण की मदद भी करेंगे।