नई दिल्ली, प्रेट्र : देश भर के एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए एक ही प्रवेश परीक्षा कराने के प्रति टाल मटोल करने पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जमकर फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को कहा कि वह सरकार के फैसले में पक्षकार नहीं बनेगी। केंद्र सरकार ने अदालत से देश में पहली बार आयोजित होने वाली राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) वर्ष 2012 के बजाय वर्ष 2013 से कराने की इजाजत मांगी थी। न्यायमूर्ति एच एल दत्तू एवं सी के प्रसाद की पीठ ने इस पर कहा, हम आपकी याचिका को खारिज करेंगे या आप अपना आवेदन वापस लेंगे। आप जो करना चाहें कर सकते हैं लेकिन हम आपके फैसले में पक्षकार नहीं बनेंगे। पीठ ने कहा, इस बारे में जो भी आदेश पारित हुआ वह आपका (सरकार का) पक्ष सुनने के बाद ही हुआ। आपने कहा था कि सत्र 2012-13 से परीक्षा कराने के लिए तैयार नियम कानून लागू कर दिए गए हैं। अब यह अदालत प्रवेश परीक्षा के आयोजन का वर्ष आगे बढ़ाने के फैसले में क्यों पक्षकार बने? बेहतर है कि आप अपनी इस याचिका को वापस ले लें। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से यह याचिका दायर की गई थी। मंत्रालय का कहना था कि कुछ राज्य सरकारों ने नई परीक्षा प्रणाली के प्रति अनिच्छा जताई है और कहा है कि छात्रों को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) द्वारा तैयार परीक्षा के पाठ्यक्रम से परिचित होने का समय चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने एमसीआइ को संयुक्त प्रवेश परीक्षा के आयोजन के लिए इस वर्ष मार्च में ही हरी झंडी दे दी थी।