Wednesday 14 December 2011

उलेमाओं का सह-शिक्षा पर पाबंदी का फरमान

जागरण ब्यूरो, श्रीनगर कश्मीर के उलेमाओं व अन्य मुस्लिम मजहबी संगठनों द्वारा गठित मजलिस-ए-तहुफ्फज-ए-इमान ने कश्मीर में सहशिक्षा (को-एजूकेशन) पर एतराज जताते हुए शिक्षण संस्थाओं को हुक्म दिया है कि लड़के और लड़कियों को साथ न पढ़ाया जाए। साथ ही इमामों व मौलवियों से कहा है कि वह नौजवानों को इस्लाम की तालीम भी दें। मजलिस ने सरकार से कहा है कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में मिशनरी स्कूलों को दी गई वक्फ की जमीन को खाली कराया जाए। मजलिस-ए-तहुफ्फज-ए-इमान की एक बैठक मीरवाइज मौलवी उमर फारूक की अगुवाई में हुई। इस दौरान कश्मीर में मुस्लिम युवकों का कथित धर्मातरण और केंद्रीय मंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला का शराब व सिनेमाघर को लेकर दिए बयान के बाद पैदा हुए हालात पर चर्चा हुई। मुस्लिम नेताओं और उलेमाओं ने कहा कि निजी शिक्षण संस्थानों और कोचिंग सेंटरों में लड़के-लड़कियों का एक साथ पढ़ना इस्लाम के खिलाफ है। इससे कश्मीर की संस्कृति पर बुरा असर हो रहा है। उलेमाओं ने कहा कि लड़के-लड़कियों की कक्षाएं एक साथ आयोजित करने के बजाय अलग-अलग किया जाए। ऐसा न करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। कोचिंग सेंटरों के संचालकों से कहा गया है कि वह नियमित पढ़ाई के अलावा बच्चों को पंद्रह बीस मिनट तक नैतिक शिक्षा और इस्लाम का पाठ भी पढ़ाएं। उलेमाओं ने सरकार से कहा है कि वक्फ की जो भी जमीन मिशनरी स्कूलों को दिया गया है उनका पूरा ब्योरा दे और जमीन वापस कराए। बैठक में मिशनरी स्कूलों से निपटने के लिए एक अत्याधुनिक इस्लामिक स्कूल की स्थापना का भी फैसला किया। इस स्कूल में इस्लामिक शिक्षा के अलावा आधुनिक शैक्षिक पाठ्यक्रम भी होगा। तहुफ्फज-ए-इमान ने सभी मौलवियों व इमामों से कहा है कि वह अपने खुतबों में लोगों को इस्लाम पर चलने की ताकीद करते हुए गैर इस्लामिक कार्याें से दूर रहने के लिए समझाएं। कश्मीर में कट्टरपंथियों की ओर से फरमान जारी करने की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी आतंकी और विभिन्न संगठनों की ओर से तालिबानी आदेश जारी होते रहे हैं।
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