Wednesday, 7 December 2011

निजी स्कूलों ने शिक्षा के अधिकार कानून को गलत बताया

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) निजी स्कूलों में लागू करना पूरी तरह से गलत है। हम इसे स्वीकार्य नहीं करना चाहते हैं। यही जवाब राजधानी के निजी स्कूलों ने केंद्र सरकार को दिया है। निजी स्कूलों ने कहा कि आखिर आरटीई लागू किए जाने के एक साल बाद केंद्र सरकार द्वारा स्कूलों से यह पूछे जाने का औचित्य क्या है कि आरटीई ठीक है या नहीं, इस पर आपकी क्या आपत्ति क्या है, सुधार क्या हो सकती है? आरटीई के लागू करने के तौर तरीकों पर आपत्ति दर्ज करवाते हुए इसे निजी स्कूलों के लिए ठीक नहीं बताया है। दिल्ली पब्लिक स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष आर.सी. जैन ने कहा कि सभी स्कूलों ने सोमवार को आखिरी दिन जवाब और सुझाव दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह बातें तो आरटीई लागू करने से पहले पूछी जाती तो बेहतर होता। जब सरकार ने निजी स्कूलों पर जबरदस्ती लागू कर दिया है, तब इस पर उनसे सुझाव मांगे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले से स्कूल वाले इससे परेशान हैं और उस पर केंद्र सरकार ने उनसे सुझाव मांग लिए। लिहाजा स्कूल भी बढ़चढ़ कर आगे आए और कहा कि यह कानून सरकारी स्कूलों के लिए तो बेहतर है, लेकिन निजी स्कूलों के लिए। क्योंकि सरकारी स्कूलों में इस तरह का माहौल पहले से है। निजी स्कूल कई चीजों में उनसे अलग हैं। यहां के बच्चों का स्तर उन बच्चों से काफी बेहतर होता है जो आरटीई कानून के तहत आते हैं। फिर पढ़ाने में काफी दिक्कत होती है। अगर वैसे बच्चों को अलग से बैठाया जाता है तो हो-हल्ला होता है। इससे बेहतर है कि यह कानून निजी स्कूलों से हटा लिया जाए।
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