Thursday 10 November 2011

जिला मुख्यालय बनाना सरकार का नीतिगत मामला : हाई कोर्ट

जागरण संवाददाता, भीम नगर नवसृजित जनपद भीम नगर का मुख्यालय संभल में बनाने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी। कहा यह सरकार का पालिसी मेटर है कि मुख्यालय कहां बनाया जाए। इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। मुख्यमंत्री मायावती ने 28 सितंबर को यहां संभल, चंदौसी और गुन्नौर तहसील मिलाकर भीम नगर जिला सृजित करने की घोषणा की। इस घोषणा के बाद उसी रात पत्रकार वार्ता में मंडलायुक्त सुरेंद्र कुमार वर्मा ने डीएम, एसपी को चंदौसी में बैठाने और जिला मुख्यालय तीनों तहसीलों के बीच में बनाए जाने की जानकारी दी। इसके बाद से संभल के लोग आंदोलित हैं। डीएम, एसपी अस्थाई रूप से बहजोई में बैठ रहे हैं। जिला मुख्यालय को लेकर शहर कांग्रेस अध्यक्ष अशरफ अली सैफी ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की। इसमें कहा था कि यहां पहले से ही एडीएम और एसपी के पद हैं, सर्वाधिक आबादी के साथ संभल का एतिहासिक एवं पौराणिक महत्व है। चार दशक से लोग संभल को जिला बनाने की मांग कर रहे हैं। राजस्व परिषद द्वारा संभल को जिला मुख्यालय बनाने के लिए दिए गए आंकड़े, मानक, अन्य स्थान पर मुख्यालय बनाने पर होने वाले दो सौ से ढाई सौ करोड़ रुपये के व्यय का भी जिक्र किया था। 17 अक्टूबर को दायर अशरफ अली सैफी बनाम राज्य सरकार जनहित याचिका 61388/2011 पर दो नवंबर को सुनवाई होनी थी, लेकिन उस दिन हो नहीं पाई। बुधवार को मुख्य न्यायमूर्ति रफत आलम और न्यायधीश कृष्ण मुरारी की दो सदस्यीय पीठ ने याचिका पर सुनवाई की। राज्य सरकार व याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि किन-किन जिलों को मिलाकर प्रदेश बनाए या फिर किस जिले को किस नाम से जिला बनाए, कहां थाना बनाए, नवसृजित भीम नगर जनपद का मुख्यालय कहां बनाए, यह सरकार का पालिसी मेटर है। इसमें हाई कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता। बेंच ने इस आधार पर याचिका को खारिज कर दिया। शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अशरफ अली सैफी ने कहा कि अब वह सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
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