वाशिंगटन, एजेंसी :
दुनिया चांद पर जाने के ख्वाब देख रही है, लेकिन पाकिस्तान अपनी रुढि़वादी सोच पर ही कायम है। बच्चों में धार्मिक कट्टरवाद का बीज बोने के साथ ही खुलेआम हिंदुओं के प्रति नफरत का पाठ पढ़ाया जा रहा है। स्कूलों की पाठ्य पुस्तकें इसाइयों व हिंदुओं के खिलाफ जहर उगल रहीं हैं। इन किताबों में अल्पसंख्यकों को तुच्छ व दोयम दर्जे के नागरिक के रूप में चित्रित किया गया है। अधिकांश शिक्षक भी धार्मिक अल्पसंख्यकों को इस्लाम का शत्रु मानते हैं। यही वजह है कि वहां इस्लामी कट्टरवाद की जड़ें गहरी होती जा रहीं हैं। अमेरिकी आयोग की ओर से बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह रहस्योद्घाटन किया गया है। इसके लिए देश के चार प्रांतों की कक्षा एक से 10 तक की 100 से ज्यादा किताबों की समीक्षा की गई। शोधकर्ताओं ने इस वर्ष फरवरी में 37 सरकारी स्कूलों के छात्रों और शिक्षकों से बातचीत भी की। रिपोर्ट के मुताबिक पाठ्य पुस्तकों के इस्लामीकरण का काम सैन्य शासक जिया उल हक के जमाने में ही शुरू हो गया था। इसके बाद वर्ष 2006 में सरकार ने किताबों से विवादास्पद अंश हटाने की घोषणा की, लेकिन यह कागजों तक ही सीमित रह गई। दरअसल, पाठ्यक्रम में बदलाव के किसी भी प्रयास का कट्टरपंथी विरोध करते इसलिए इन मुद्दों पर उन्हें चुनौती देने की हिम्मत नहीं दिखाई गई। रिपोर्ट के मुताबिक 1947 में पाकिस्तान के स्वतंत्र राष्ट्र बनने के बाद शुरुआती दौर में कहा गया कि यहां अल्पसंख्यकों को पूरे अधिकार दिए जाएंगे, लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा। भारत के साथ तीन युद्ध, 1980 में अफगानिस्तान-सोवियत संघ संघर्ष में आतंकवाद को समर्थन तथा रूढ़ीवादी मौलवियों को वैध ठहराने की कोशिशों ने उसका असली चेहरा उजागर कर दिया। आतंकवादियों के साथ सहानुभूति रखने वालों ने असहिष्णुता के खिलाफ बोलने वालों और धार्मिक अल्पसंख्यकों की हत्या कर दी। रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं और कुछ हद तक ईसाइयों के नकारात्मक चित्रण की बात कही गई है। पाकिस्तान की 18 करोड़ आबादी में हिंदू एक प्रतिशत से ज्यादा जबकि ईसाई करीब दो प्रतिशत हैं। सिखों और बौद्धों की भी कुछ आबादी है। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग के अध्यक्ष लियोनार्ड लियो का सीधे तौर पर मानना है कि भेदभाव या नफरत का पाठ पढ़ाने से ही वहां कट्टरपंथियों में हिंसा की प्रवृत्ति बढ़ने, धार्मिक स्वतंत्रता, राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय स्थायित्व व वैश्विक सुरक्षा कमजोर होने की आशंका ज्यादा है। इससे पहले भी अमेरिकी रिपोर्टो में पाक में बढ़ रही कट्टरता के पीछे के कारणों की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है।