Monday, 7 November 2011

स्थगन आदेश मांगा तो होगी कार्रवाई

जानबूझकर चोट मारने के मामलों पर सरकारी वकीलों को हाईकोर्ट का आदेश 
ललित कुमार, चंडीगढ़ 
जानलेवा हमले की झूठी शिकायतों में डाक्टरों की मिलीभगत के मामलों में अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील ने यदि स्थगन आदेश मांगा तो उन्हें इसके लिए विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। इन मामलों की तेजी से सुनवाई के हाईकोर्ट के निर्देश के बाद बुधवार को हरियाणा सरकार के प्रॉसीक्यूशन विभाग के डायरेक्टर ने जवाब दाखिल कर कहा कि मामलों की पैरवी कर रहे सरकारी वकीलों को निर्देश दे दिए गए हैं कि उनकी तरफ से सुनवाई को बाधित करने का कोई प्रयास न किया जाए। सुनवाई स्थगित करने की मांग भी न की जाए। यदि ऐसा किया गया तो संबंधित वकील विभागीय कार्रवाई के लिए तैयार रहें। कार्यवाहक चीफ जस्टिस एमएम कुमार व जस्टिस आरएन रैना की खंडपीठ ने जवाब पर संतोष जताते हुए याचिका का निपटारा कर दिया। इससे पहले हिसार के आईजीपी ने हाईकोर्ट को यथास्थिति रिपोर्ट में जानकारी दी थी कि 16 प्राइवेट अथवा सरकारी डाक्टरों की मिलीभगत सामने आई है। इन सभी डाक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। एक डाक्टर एक से ज्यादा मामलों में शामिल पाया गया है। इन डाक्टरों ने झूठी मेडिकल रिपोर्ट तैयार की है। मामले को लेकर हरियाणा मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार अथवा एडीशनल डायरेक्टर जनरल स्वास्थ्य सेवाओं की तरफ से अदालत में कहा गया कि पुलिस मामले में एफआईआर दर्ज कर चुकी है। इसके अलावा डाक्टरों के खिलाफ शिकायत मेडिकल काउंसिल में की जा सकती हैं।
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