माला दीक्षित, नई दिल्ली क्या सुरक्षा के नाम पर नागरिकों में दो श्रेणियां हो सकती हैं? ऐसी श्रेणियां बनाना संविधान और कानून का उल्लंघन तो नहीं? क्या राज्य संविधान निर्माताओं की शासक के बजाए जनता के सेवक की अवधारणा को सही मायने में लागू कर रहे हैं? वीआइपी सुरक्षा और लालबत्ती के उपयोग से जुड़े इन कानूनी प्रश्नों पर सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर उनका नजरिया मांगा है। न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी व सुधांशु ज्योति मुखोपाध्याय ने वीआइपी सुरक्षा व लालबत्ती के उपयोग का मुद्दा उठाने वाली अभय सिंह की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाल ही में ये निर्देश जारी किए। याचिका में यूपी कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता प्रमोद तिवारी व उनके परिवार को प्राप्त वीआइपी सुरक्षा पर सवाल उठाया है। कोर्ट ने याचिका का दायरा बढ़ाते हुए वीआइपी सुरक्षा के कानूनी मसले पर सुनवाई का मन बनाया है। अभय के वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट से याचिका में दिए गए तथ्यों के अलावा संवैधानिक लोकतंत्र से जुड़े अहम मुद्दे पर विचार का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि क्या देश में नागरिकों की दो श्रेणियां होनी चाहिए। जिसमें एक को सरकारी खर्च पर गैर जरूरी सुरक्षा और सभी विशेषाधिकार मिले हों। साल्वे के कुछ कानूनी प्रश्नों पर सुनवाई की कोर्ट ने सहमति दी।