Tuesday 18 October 2011

दिल्ली के हैं तभी मिलेगी नौकरी

आशुतोष झा, नई दिल्ली अगर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में नौकरी करने के इच्छुक हैं तो दिल्ली का निवासी होना (डोमिसाइल) फायदा पहुंचा सकता है। दिल्ली के पड़ोसी राज्य हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में जिस तरह स्थानीय लोगों को वहां नौकरी में 85 फीसदी तक प्राथमिकता दी जाती है, इसी तर्ज पर एमसीडी में भी नौकरी के लिए दिल्ली वालों को 85 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। सोमवार को एमसीडी सदन ने इस आशय से लाए गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। दिल्ली के डोमिसाइल (अधिवासी या निवासी) निवासियों को एमसीडी में नौकरी के लिए प्राथमिकता देने का प्रस्ताव 14 सितंबर को एमसीडी स्थायी समिति की बैठक में लाया गया था। प्रस्ताव की सिफारिश समिति सदस्य गुलशन भाटिया, विजय प्रकाश पांडेय ने की तो उसे अनुमोदित नेता विपक्ष जयकिशन शर्मा ने किया था। इनका तर्क था कि दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य और कॉरपोरेट हाउस आदि की उच्चतम स्तर की सुविधाएं उपलब्ध हैं और इस कारण यहां रोजगार के अवसर ज्यादा हैं। किंतु नौकरियों के लिए प्रशिक्षित स्थानीय उम्मीदवार उपलब्ध होने के बावजूद यहां पर बेरोजगारी का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है। दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र होने के कारण यहां भारत के सभी हिस्से के निवासी रोजगार, व्यापार और गुजर-बसर करने के लिए वर्षो से दिल्ली में रह रहे हैं। ऐसे में जब भी नौकरियों में भर्ती की जाती है तो यहां के स्थानीय निवासी उम्मीदवार के रूप में बहुत कम होते हैं, बाहर के ज्यादा। ऐसे में एमसीडी यहां के लोगों के कल्याण तथा निगम एक्ट में उल्लेखित सुविधाएं प्रदान करता है। निर्णय लिया गया कि आगामी दिनों में जो बहाली की जाएगी इसमें डोमिसाइल वालों को 85 फीसदी आरक्षण दिया जाए। नेता सदन सुभाष आर्य कहते हैं कि एमसीडी को विकास कार्य के लिए पैसा भारत सरकार की संचित निधि से नहीं मिलता है। एमसीडी स्वायत्तशासी संस्था है। इस कारण स्थानीय लोगों की हित का ख्याल रखते हुए इस तरह के फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है। उन्होंने बताया कि सदन से पास प्रस्ताव में डोमिसाइल को वर्णित करने के लिए फाइल एमसीडी कमिश्नर केएस मेहरा को भेज दी गई है। जैसे ही यह काम पूरा हो जाएगा पहले तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के तहत जो बहाली होंगे इसी नियम के तहत की जाएंगी। मालूम हो कि एमसीडी के अंतर्गत कुल 36 विभाग हैं तो मुख्यालय आदि में काम करने वाले सभी कर्मचारियों की संख्या कुल डेढ़ लाख के करीब है।
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