Tuesday 18 October 2011

नौ लाख आशा वर्करों को नर्स बनाना चाहती है केंद्र सरकार

केंद्रीय सरकार देश में नर्सों की कमी को आशा वर्करों से दूर करना चाहती है। यही वजह है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 12वीं पंचवर्षीय योजना में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन(एनआरएचएम) में आशा वर्करों को नर्सिंग की डिग्री में विशेष तरजीह देने की वकालत की है। इस वक्त एनआरएचएम में लगभग नौ लाख आशा वर्करों के लिए नर्सिंग कोर्स पूरा करने के अवधि में भी कटौती का सुझाव दिया गया है। योजना आयोग को सौंपे गए एनआरएचएम के मसौदे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ग्रामीण इलाकों में काम कर रहे सैकड़ों अनियमित स्वास्थ्यकर्मियों को भी नियमित करने का भी प्रस्ताव पेश किया है। एनआरएचएम वर्किंग ग्रुप के मसौदे में कहा गया है कि देश में काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों की कमी को पाटने की जरूरत है। अपना सुझाव देते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने लिखा है ‘एएनएम नर्सिंग कोर्स के लिए आशा वर्करों को तरजीह दी जानी चाहिए। आशा वर्करों द्वारा स्वास्थ्य केंद्रों में काम करने की अवधि और ट्रेनिंग को ध्यान में रखते हुए उनके कोर्स का समय भी कम होना चाहिए।’ स्वास्थ्य मंत्रालय के एक उच्च पदस्थ सूत्र के अनुसार देश में फिलहाल नौ लाख आशा वर्करों को अगर नर्सिंग ट्रेनिंग दे दी जाए तो दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले ज्यादातर आम जनता तक गारंटी स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना आसान हो जाएगा। केंद्र सरकार ने एनआरएचएम में कम कराने वाले अनियमित स्वास्थ्यकर्मियों को नियमित करने का भी सुझाव दिया गया है। प्रस्ताव में लिखा है ‘न्यूनतम पदों की दरकार के सिद्धांत पर चलने की जरूरत के साथ ही ठेके पर काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को नियमित करने को प्रमुखता से लागू करना होगा।’ मसौदे में आगे कहा गया है कि सभी राज्य सरकारों के ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में नियुक्तियों को सबसे ज्यादा सुधार की जरूरत है।

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