Wednesday 19 October 2011

पीएम ने संभाली आरटीई के प्रचार की कमान

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून के अमल को डेढ़ साल बीत गया, लेकिन तमाम स्कूली बच्चे और उनके माता-पिता अब भी उसकी फायदे से अनजान हैं। कई राज्य सरकारें भी इस कानून के पूरी तरह अमल को लेकर लेटलतीफ हैं। लिहाजा अब पूरे साल भर तक इस कानून के प्रचार का अभियान चलेगा और खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इसमें हिस्सा लेंगे। जबकि, इस मसले पर जागरूकता बढ़ाने के लिए राज्यों के लिए केंद्र बुधवार को शिक्षा मंत्रियों से मशविरा करने जा रहा है। शिक्षा का अधिकार कानून के अमल पर मदद के लिए बनी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के उप समूह ने इसके प्रचार अभियान का खाका तैयार कर लिया है। उसके तहत आगामी 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के मौके पर हरियाणा के मेवात जिला मुख्यालय नूंह से इसकी इस अभियान की शुरुआत होगी। मेवात देश के शैक्षिक रूप से सबसे पिछड़े जिलों में से एक है। छह से चौदह साल तक के बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य पढ़ाई के लिए शिक्षा का अधिकार कानून के प्रचार के इस अभियान में समाचार पत्रों, न्यूज चैनलों के अलावा नुक्कड़ नाटकों और पंपलेट बांटने आदि का सहारा लिया जाएगा। यह सिलसिला अगले शिक्षा दिवस तक पूरे साल चलेगा। सूत्रों के मुताबिक, प्रचार अभियान के पहले खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देश के प्रारंभिक स्कूली शिक्षा के लगभग 13 लाख प्रधानाध्यापकों को अपनी तरफ से चिट्ठी भेजने जा रहे हैं। चिट्ठी का अनुवाद सभी 14 भारतीय भाषाओं में होगा। जहां संभव होगा, वहां उसे ई-मेल भी भेजा जाएगा। शिक्षा दिवस के मौके पर आगामी 11 नवंबर को सभी स्कूलों में सुबह की प्रार्थना सभा के पहले शिक्षा का अधिकार कानून पर उनका संदेश पढ़कर छात्रों, लगभग 60 लाख स्कूली शिक्षकों को सुनाया जाएगा। गौरतलब है कि कानून के पूरी तरह अमल के लिए सरकार ने तीन साल की समय सीमा रखी है, जो 31 मार्च, 2013 को पूरी हो रही है। सरकार की कोशिश है कि इस सबके जरिए कानून पर समय से पूरी तरह अमल की है। इस बीच, केंद्र सरकार भी प्रचार अभियान को गति देने में जुट गई है। इस मसले पर राज्य सरकारों के सक्रिय योगदान के लिए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक बुलाई है। बैठक में कानून के प्रचार के लिए केंद्र व राज्यों के बीच सहयोग व समन्वय पर चर्चा होगी।
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