जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ पंजाब पुलिस में विभिन्न पदों पर तैनात सजायाफ्ता कर्मचारियों का मामला फिर सुर्खियों में है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह सभी सजायाफ्ता पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को नौकरी से हटाकर इसकी कार्रवाई रिपोर्ट दे। हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएम कुमार व न्यायाधीश आरएन रैना की खंडपीठ ने आपराधिक मामले में दोषी करार दिए जा चुके पुलिस अधिकारियों को पुन: नौकरी पर रखे जाने को गंभीरता से लिया है। खंडपीठ ने पुलिस महानिदेशक द्वारा जारी उस परिपत्र पर भी रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया है कि तीन वर्ष से कम अवधि की सजा प्राप्त पुलिस अफसरों को नौकरी से बर्खास्त न किया जाए। इस मुद्दे को लेकर एचसी अरोड़ा ने जनहित याचिका दायर की हुई है। याचिका में कहा गया है कि नियमों के अनुसार किसी आपराधिक मामले में दोषी पाए गए पुलिस अफसर को तब तक नौकरी पर नहीं रखा जा सकता जब तक उसे निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा पर अपील कोर्ट रोक नहीं लगा देती, परंतु डीजीपी ने एक परिपत्र जारी कर तीन वर्ष से कम सजा प्राप्त पुलिस कर्मियों से नरमी बरतने की बात कही है। साथ ही कई ऐसे पुलिस अधिकारी भी नौकरी कर रहे हैं, जो सजायाफ्ता हैं और अपील अदालत से उन्हें केवल जमानत मिली है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि केवल जमानत मिलने भर से कोई पुलिस अधिकारी नौकरी में रहने का हकदार नहीं रहता। खंडपीठ ने कहा, उन पुलिस अधिकारियों को नौकरी में रहने का अधिकार नहीं है, जो किसी भी आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जा चुके हैं।