सतीश चौहान, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की लाख कोशिशों के बाद भी देश के कई विश्वविद्यालयों ने पर्यावरण विषय को नियमों के अनुसार लागू नहीं किया। यूजीसी ने कार्रवाई करते हुए 11 विश्वविद्यालयों को विकास कार्य के लिए दी जाने वाली अनुदान राशि बंद कर दी है। यूजीसी ने इसकी जानकारी ग्रीन अर्थ संस्था द्वारा सूचना का अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी में दी है। संस्था ने यूजीसी से ऐसे विश्र्वविद्यालयों के नाम और इनके खिलाफ की गई कार्रवाई करने के बारे में जानकारी मांगी थी। यूजीसी ने पत्र क्रमांक-आरटीआइ-केएनके-4 ई- 308 में यह जानकारी दी है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद यूजीसी ने सभी विश्र्वविद्यालयों को वर्ष 2002 में पर्यावरण को स्नातक स्तर पर अनिवार्य विषय के रूप में लागू करने का आदेश दिया था। यूजीसी के भरपूर प्रयास के बाद भी कई विश्र्वविद्यालयों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। कई विश्र्वविद्यालयों में तो नौ साल बाद भी पर्यावरण विषय के नियमित शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाई। इसके अलावा कॉलेजों में नियमित शिक्षक तो दूर की बात है अनुबंध आधार पर भी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाई है। आज भी इन विषयों को अन्य विषयों के शिक्षकों द्वारा ही पढ़ाया जा रहा है। ग्रीन अर्थ संस्था के सदस्य नरेश भारद्वाज को यूजीसी के सेंट्रल पब्लिक इंफोर्मेशन ऑफिसर एमके रेवारी ने बताया कि यूजीसी ने विश्र्वविद्यालयों की जांच के बाद 11 विश्र्वविद्यालयों को चिन्हित किया है।