Wednesday, 8 June 2011

हाईस्कूल तक मुफ्त शिक्षा पर सहमति

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली
माध्यमिक तक मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा और स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए नए कानून की जमीन तैयार हो गई है। राष्ट्रीय शिक्षा सलाहकार परिषद (केब) ने केंद्र के इन दोनों प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। उसने नेशनल वोकेशनल एजूकेशन क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क के प्रस्ताव को भी हरी झंडी दिखा दी है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने मंगलवार को यहां हुई केब की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि सारे फैसले सर्वसम्मति से लिए गए हैं। सदस्यों के सुझाव पर यह तय हो गया है कि केब की बैठक अब एक साल में दो बार हुआ करेगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून को माध्यमिक स्तर तक ले जाया जाएगा। नए कानून के शुरुआती मसौदे को तैयार करने के लिए केब के सदस्यों में से ही एक समिति बनेगी। उसमें मंत्रियों, शिक्षाविदें के अलावा सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि शामिल होंगे। वे सभी पक्षकारों से बात करके तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देंगे। उसके बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। हालांकि बैठक के दौरान राज्यों ने इसमें केंद्र के साथ खर्च के बंटवारे का सवाल भी उठाया था, लेकिन सिब्बल ने कहा यह तो अभी प्रस्ताव है। मसौदा बनने के बाद सारे मसलों पर चर्चा होगी। इसी तरह, स्कूलों में मनमानी फीस या फिर शिक्षकों को वेतन भुगतान में हेराफेरी समेत अन्य सभी गलत क्रियाकलापों को रोकने के लिए नए कानून के शुरुआती मसौदे के लिए भी केब प्रतिनिधियों में से ही एक अलग समिति बनेगी। वह भी तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। नेशनल वोकेशनल एजूकेशन क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क के लिए राज्यों के शिक्षा मंत्रियों का एक समूह पहले से ही बना है। वह सभी राज्यों से मशविरा करके उसका मसौदा तैयार करेगा। व्यावसायिक शिक्षा का मानक राष्ट्रीय होगा, लेकिन पाठ्यक्रम राज्यों की स्थानीय जरूरतों के लिहाज से बनेगा। पूर्व में हुए कुलपतियों के सम्मेलन की सिफारिशों के तहत उच्च शिक्षा में सुधार, विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता जैसे अन्य मसलों पर भी केब ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है, लेकिन कुछ किंतु-परंतु भी हैं। लिहाजा इसके लिए भी केब सदस्यों की एक समिति बनेगी। इस बीच, राज्य सरकारें से अपने सुझाव देने की बात कही गई है।जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली माध्यमिक तक मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा और स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए नए कानून की जमीन तैयार हो गई है। राष्ट्रीय शिक्षा सलाहकार परिषद (केब) ने केंद्र के इन दोनों प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। उसने नेशनल वोकेशनल एजूकेशन क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क के प्रस्ताव को भी हरी झंडी दिखा दी है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने मंगलवार को यहां हुई केब की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि सारे फैसले सर्वसम्मति से लिए गए हैं। सदस्यों के सुझाव पर यह तय हो गया है कि केब की बैठक अब एक साल में दो बार हुआ करेगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून को माध्यमिक स्तर तक ले जाया जाएगा। नए कानून के शुरुआती मसौदे को तैयार करने के लिए केब के सदस्यों में से ही एक समिति बनेगी। उसमें मंत्रियों, शिक्षाविदें के अलावा सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि शामिल होंगे। वे सभी पक्षकारों से बात करके तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देंगे। उसके बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। हालांकि बैठक के दौरान राज्यों ने इसमें केंद्र के साथ खर्च के बंटवारे का सवाल भी उठाया था, लेकिन सिब्बल ने कहा यह तो अभी प्रस्ताव है। मसौदा बनने के बाद सारे मसलों पर चर्चा होगी। इसी तरह, स्कूलों में मनमानी फीस या फिर शिक्षकों को वेतन भुगतान में हेराफेरी समेत अन्य सभी गलत क्रियाकलापों को रोकने के लिए नए कानून के शुरुआती मसौदे के लिए भी केब प्रतिनिधियों में से ही एक अलग समिति बनेगी। वह भी तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। नेशनल वोकेशनल एजूकेशन क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क के लिए राज्यों के शिक्षा मंत्रियों का एक समूह पहले से ही बना है। वह सभी राज्यों से मशविरा करके उसका मसौदा तैयार करेगा। व्यावसायिक शिक्षा का मानक राष्ट्रीय होगा, लेकिन पाठ्यक्रम राज्यों की स्थानीय जरूरतों के लिहाज से बनेगा। पूर्व में हुए कुलपतियों के सम्मेलन की सिफारिशों के तहत उच्च शिक्षा में सुधार, विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता जैसे अन्य मसलों पर भी केब ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है, लेकिन कुछ किंतु-परंतु भी हैं। लिहाजा इसके लिए भी केब सदस्यों की एक समिति बनेगी। इस बीच, राज्य सरकारें से अपने सुझाव देने की बात कही गई है।
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