नई दिल्ली, एजेंसी : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आइएएस और आइपीएस जैसी अखिल भारतीय सेवाओं में सामान्य तथा आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए आरक्षण नियमों में सरकार कोई फेरबदल नहीं कर सकती क्योंकि यह संविधान का उल्लंघन होगा। न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन और न्यायमूर्ति एके पटनायक की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि सामान्य, अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए रोस्टर प्रणाली का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए और निर्धारित कोटा सीमा से अधिक आरक्षण अवैध और असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट ने आइपीएस अधिकारी और सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार जी. श्रीनिवास राव की याचिका पर यह आदेश दिया। श्रीनिवास ने गृह राज्य आंध्र प्रदेश के बदले मणिपुर-त्रिपुरा संयुक्त कैडर दिए जाने के केंद्र के 1999 के फैसले को चुनौती दी थी। राव की दलील दी थी कि उन्हें 1998 की सिविल सेवा परीक्षा में 95वां रैंक मिला, लेकिन पिछड़ा वर्ग के एक अन्य उम्मीदवार को आंध्र प्रदेश कैडर दिया गया। केंद्र ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को निर्धारित सीमा के अलावा दो अतिरिक्त आरक्षण दिया गया क्योंकि 1998 में उनका कोटा पूरी तरह नहीं भर सका। शीर्ष अदालत ने केंद्र की उस दलील को खारिज कर दिया कि उसने पांच साल पहले के आंकड़ों के आधार पर फैसला किया।