Thursday 21 July 2011

यूपी के इंजीनियरिंग कॉलेजों में छात्रों का टोटा

पारितोष मिश्रा, लखनऊ इंजीनियरिंग में सीटों के सापेक्ष अनुमानित छात्र संख्या ने हालत इतनी पतली कर दी है कि रसूखदार कॉलेज भी अपनी साख छोड़कर छात्रों की चिरौरी कर रहे हैं। काउंसिलिंग से पहले ही कॉलेज हरसंभव प्रयास कर छात्रों को जोड़ने की जुगत कर रहे हैं। कॉलेजों की दुकानें होटल, बाजार, कोचिंग संस्थानों के बाहर और भीड़भाड़ वाले इलाकों में लग रही हैं। एसईई में शामिल न होने वाले छात्रों से भी पूछा जा रहा है कि क्या उन्हें इंजीनियरिंग करना है? पांच सालों में पांच गुना हुए इंजीनियरिंग और प्रबंधन कॉलेजों की बाढ़ में अब गुणवत्ता बहती जा रही है। इस बार के आंकड़ों ने एमटीयू और जीबीटीयू प्रशासन समेत उत्तर प्रदेश के 800 कॉलेजों की चिंता बढ़ा दी है। 2006 में बीटेक कॉलेज 83 और एमबीए कॉलेज 93 थे। तब इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए जूझना पड़ता था। आज बीटेक कॉलेज 302 और एमबीए कॉलेज 407 हैं। प्रवेश परीक्षा में तकरीबन 1,70,000 अभ्यर्थी शामिल हुए। सफल 84,000 हुए हैं और प्रवेश के लिए पंजीकरण करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या मात्र 30,000 ही है। प्रदेश के तकरीबन 800 कॉलेजों में 1,35,000 सीटें हैं और प्रवेश की इच्छा तीस हजार अभ्यर्थियों ने ही जाहिर की है। एमटीयू प्रशासन ने दोबारा दस्तावेजों की जांच कराने का भी मन बनाया था ताकि और अभ्यर्थियों को जोड़ा जा सके, लेकिन अब ऐसे आसार भी नहीं दिख रहे। 50 फीसदी से कम अंक वाले अभ्यर्थियों के आगे एआइसीटीई के मानक रखकर छात्रों की संख्या और कम कर दी गई है। ऐसे में कॉलेज, छात्रों को कम फीस, छात्रवृत्ति और अन्य सुविधाओं का लालच दे रहे हैं। एसईई में शामिल न होने वाले छात्रों को भी प्रवेश दिया जा रहा है। यहीं नहीं, इंजीनियरिंग कॉलेजों के शिक्षकों को प्रवेश का लक्ष्य भी दिया जा रहा है। लखनऊ के एक इंजीनियरिंग कॉलेज के शिक्षक ने बताया कि दस शिक्षकों को 12-12 छात्रों को लाने को कहा गया है।
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