सुजीत कुमार पप्पू मुजफ्फरपुर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही सूबे में विकास चक्र तेजी से घूमने का दावा करें पर शिक्षा क्षेत्र की बदहाली और शिक्षकों का टोटा तो कुछ और ही तस्वीर पेश कर रही है। मुजफ्फरपुर जिले में तो एक कालेज ऐसा है, जहां एक शिक्षक को 20-20 कक्षाएं लेनी पड़ रही हैं। कामर्स संकाय में तैनात आठ शिक्षकों के सेवानिवृत्त हो जाने के कारण 2170 छात्रों को पढ़ाने का जिम्मा एक शिक्षक के कंधे पर आ गया है। बीआर अंबेडकर विवि से संबद्ध मुजफ्फरपुर जिले के आरडीएस कालेज की कॉमर्स की पढ़ाई के मामले में तूती बोलती थी। आज भी कालेज में 11वीं और 12वीं में क्रमश: 512 व 512, स्नातक प्रथम, द्वितीय व तृतीय खंडों में क्रमश: 350, 350 व 350 तथा स्नातकोत्तर कक्षाओं में 48 व 48 छात्र अध्ययनरत हैं, मगर उन्हें पढ़ाने के लिए सिर्फ एक ही शिक्षक हैं। 2008 से इन छात्रों को पढ़ाने की जिम्मेदारी डॉ.रामचंद्र प्रसाद सिंह (विभागाध्यक्ष) के कंधों पर है, क्योंकि विभाग में नियुक्त कुल नौ शिक्षकों में से आठ सेवानिवृत्त हो चुके हैं। रामचंद्र सिंह पर रोज 20 क्लास लेने की जिम्मेवारी है। कई वर्गो का समय एक ही रहने से उन्हें काफी परेशानी होती है। इस समस्या को दूर करने के लिए वहां तीन फैकल्टी रखे गये, लेकिन विवि प्रशासन द्वारा उन्हें कोई मानदेय नहीं दिया जाता। कोढ़ में खाज की स्थिति पैदा करते हुए विवि प्रशासन ने शैक्षणिक सत्र 2011-12 में यहां छात्रों की संख्या में इजाफा करते हुए उसे डेढ़ गुणा कर दिया है। छात्र मनोज कुमार, पिंटू कुमार बताते हैं कि शिक्षकों की कमी के कारण प्राय: कक्षाएं स्थगित रहतीं हैं। इसलिए कॉलेज नहीं जाते। ट्यूशन के सहारे पढ़ाई पूरी करनी पड़ती है। स्नातक तृतीय खंड के छात्र मुकेश कुमार के अनुसार, छात्र कक्षाओं के नियमित संचालन के लिए कई बार प्राचार्य से अपील कर चुके हैं, लेकिन शिक्षकों की कमी का रोना रोया जाता है। इस बाबत कॉलेज के प्राचार्य डॉ.अमरेंद्र नारायण यादव कहते हैं कि शिक्षकों की कमी के बारे में 2008 से ही विवि को अवगत कराया जा रहा है। विवि प्रशासन के पास शिक्षक ही नहीं हैं, जो यहां स्थानांतरित किए जा सकें। सरकार भी इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। उल्लेखनीय है राज्य के विभिन्न जिलों में स्थित तमाम कॉलेजों (माध्यमिक और महाविद्यालय) में शिक्षकों की कमी है।