Saturday, 4 June 2011

अब सीज नहीं होगी ईपीएफ की रकम

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद हिंदुस्तान से जाकर विदेशों में या विदेशों से आकर यहां नौकरी करने वाले कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर है। नौकरी बीच में छोड़ने पर कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) की रकम अब सीज नहीं होगी, बल्कि पूरी रकम कर्मचारी को मिलेगी। सामाजिक सुरक्षा समझौता स्कीम (एसएसएएस) के तहत केंद्र सरकार ने बेल्जियम, जर्मनी और स्विटजरलैंड से इस संबंध में समझौता किया है। अमेरिका और ब्रिटेन से भी इस बारे में बातचीत चल रही है। मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी अक्सर एक को छोड़कर दूसरी कंपनियों में नौकरी के लिए विदेशों की ओर रुख करते हैं। साथ ही विदेशों से कर्मचारी यहां आकर नौकरी करते हैं। नौकरी बीच में ही बदल लेने पर कर्मचारियों की ईपीएफ की रकम सरकार सीज कर लेती है। ऐसा सरकारों के बीच एसएसएएस समझौता न होने की वजह से है। बीच में सेवा ब्रेक करके दूसरी संस्थाओं में जाने पर कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने पर उन्हें पेंशन का नुकसान भी उठाना पड़ता है। भविष्य निधि के क्षेत्रीय आयुक्त बृजेश कुमार सिंह एवं सहायक आयुक्त अमिताभ प्रकाश ने बताया कि इन्हीं मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने एसएसएएस के तहत विदेशों से समझौता करने की पहल शुरू की है। इस समझौते की खास बात यह है कि हिंदुस्तान का रहने वाला कर्मचारी अगर उक्त देशों में स्थायी तौर पर रहने का निर्णय कर लेता है तो यहां की गई सेवा का निर्यात (ईपीएफ एवं पेंशन) भी हो जाएगा। इससे सेवा में निरंतरता बनी रहेगी और जो सेवा यहां की है, उसे पेंशन की पात्रता में जोड़ लिया जाएगा। इससे पेंशन का भी नुकसान नहीं होगा।जागरण संवाददाता, इलाहाबाद हिंदुस्तान से जाकर विदेशों में या विदेशों से आकर यहां नौकरी करने वाले कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर है। नौकरी बीच में छोड़ने पर कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) की रकम अब सीज नहीं होगी, बल्कि पूरी रकम कर्मचारी को मिलेगी। सामाजिक सुरक्षा समझौता स्कीम (एसएसएएस) के तहत केंद्र सरकार ने बेल्जियम, जर्मनी और स्विटजरलैंड से इस संबंध में समझौता किया है। अमेरिका और ब्रिटेन से भी इस बारे में बातचीत चल रही है। मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी अक्सर एक को छोड़कर दूसरी कंपनियों में नौकरी के लिए विदेशों की ओर रुख करते हैं। साथ ही विदेशों से कर्मचारी यहां आकर नौकरी करते हैं। नौकरी बीच में ही बदल लेने पर कर्मचारियों की ईपीएफ की रकम सरकार सीज कर लेती है। ऐसा सरकारों के बीच एसएसएएस समझौता न होने की वजह से है। बीच में सेवा ब्रेक करके दूसरी संस्थाओं में जाने पर कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने पर उन्हें पेंशन का नुकसान भी उठाना पड़ता है। भविष्य निधि के क्षेत्रीय आयुक्त बृजेश कुमार सिंह एवं सहायक आयुक्त अमिताभ प्रकाश ने बताया कि इन्हीं मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने एसएसएएस के तहत विदेशों से समझौता करने की पहल शुरू की है। इस समझौते की खास बात यह है कि हिंदुस्तान का रहने वाला कर्मचारी अगर उक्त देशों में स्थायी तौर पर रहने का निर्णय कर लेता है तो यहां की गई सेवा का निर्यात (ईपीएफ एवं पेंशन) भी हो जाएगा। इससे सेवा में निरंतरता बनी रहेगी और जो सेवा यहां की है, उसे पेंशन की पात्रता में जोड़ लिया जाएगा। इससे पेंशन का भी नुकसान नहीं होगा।
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