एस.के.गुप्ता, नई दिल्ली राजधानी में नकली जाति प्रमाण पत्र ही नहीं मिल रहे, बल्कि समानांतर नकली शिक्षा बोर्ड भी चलाया जा रहा है। बोर्ड ऑफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन, दिल्ली धड़ल्ले से ऐसी मार्कशीट बांट रहा है जिनका कोई मूल्य नहीं है। फर्जी बोर्ड ने अपनी वेबसाइट भी बनाई हुई है, जिस पर फोन नंबर और बोर्ड कार्यालय का पता दर्शाया हुआ है। लेकिन छानबीन के दौरान न तो बोर्ड का कार्यालय ही मिला और न ही फोन करने पर वेबसाइट पर दिए दिल्ली के नंबर लग रहे हैं। हैरानी की बात है कि इस बारे में सरकारी महकमों को पता है लेकिन कार्रवाई के बजाय वह जिम्मेदारी एक-दूसरे के ऊपर डाल रहे हैं। इस फर्जी बोर्ड की मार्कशीट लेकर एक छात्र दयाल सिंह कॉलेज में दाखिला लेने भी पहुंच गया। डीयू के ज्वाइंट डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. सुमन वर्मा ने बताया कि कुछ समय पहले दयाल सिंह कॉलेज ने जांच के लिए बोर्ड ऑफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन, दिल्ली की मार्कशीट और अन्य प्रमाणपत्र भेजे थे। जिसे रजिस्ट्रार कार्यालय के एकेडमिक विभाग में भिजवा दिया है। यह बोर्ड नकली है, इसलिए यहां की मार्कशीट लाने वाले छात्र को दाखिला नहीं मिलेगा। आपको बता दें कि दिल्ली राज्य का अपना कोई बोर्ड नहीं है, इसलिए सीबीएसई के तहत ही सरकार के स्कूलों को भी मान्यता मिली है। इस बारे में देश भर के सरकारी शिक्षा बोर्डो के संगठन काउंसिल ऑफ बोर्ड्स ऑफ स्कूल एजुकेशन (कोबसे) के संयुक्त सचिव पूरनचंद बताते हैं कि 45 शिक्षा बोर्ड कोबसे के सदस्य हैं। यह वह बोर्ड हैं, जो केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। पूरनचंद का कहना है कि बोर्ड ऑफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन दिल्ली और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा परिषद दिल्ली नाम से फर्जी बोर्ड चल रहे हैं। इन बोर्ड का कहीं कोई क्षेत्रीय कार्यालय नहीं है, और न ही परीक्षा आयोजित करने के लिए इनके पास स्कूल हैं। जिन स्कूलों का नाम वेबसाइट पर दर्शाया गया है, वह भी फर्जी ही हैं। पूरनचंद का कहना है कि उनके यहां इन नकली बोर्ड्स की फर्जी मार्कशीट और प्रमाण पत्रों की फाइल तैयार है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय और दिल्ली सरकार को भी वह इस बारे में कई बार कार्रवाई के लिए कह चुके हैं। लेकिन मंत्रालय की ओर से कोबसे को 10 महीने पहले पत्र लिखकर कहा गया कि आप ही इन फर्जी बोर्ड के विरुद्ध कार्रवाई करें। लेकिन मानव संसाधन मंत्रालय के तहत काम करने वाले कोबसे का काम पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार कराना, ग्रेडिंग प्रणाली के बारे में बोर्ड को अवगत कराना और शिक्षा पद्धति में सुधार के प्रति सुझाव देना है। कार्रवाई कराने की जिम्मेदारी केंद्र व राज्य सरकार की है।