पटना हाईकोर्ट ने चयनित सिपाहियों को छह महीने में नियुक्त करने का निर्देश दिया है। इन सभी ने 2004 में निकले विज्ञापन के आधार पर परीक्षा दी थी और सफल हुए। 2006 में शारीरिक जांच परीक्षा का रिजल्ट निकला किन्तु इनकी नियुक्ति नहीं हो पायी। आरोप है कि इनको छोड़ नयी नियुक्तियां शुरू हो गयीं। नतीजतन, नौकरी पाने से वंचित रहे लोग न्यायालय की शरण में आये हैं। न्यायाधीश टी.मीना कुमारी एवं न्यायाधीश अखिलेश चन्द्रा की खंडपीड ने मंगलवार को 153 याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई पूरी की। वकार अहमद एवं अन्य की ओर से वरीय अधिवक्ता राजीव कुमार वर्मा ने कोर्ट को बताया कि शारीरिक जांच परीक्षा में सफल हुए उम्मीदवार छह वर्ष से अपने चयन का लेकर पशोपेश में हैं, जबकि सिपाहियों की नयी बहाली शुरू कर दी गयी है। सरकार पुराने को भूल गयी है। राज्य सरकार की ओर से दायर शपथपत्र में कहा गया था कि सिपाहियों के कुल कितने चयनित सिपाही पर रिक्त हैं, इसका पता लगाना पड़ेगा। इस पर ऐतराज करते हुए खंडपीठ ने कहा कि रिक्तियों का बगैर पता लगाये विज्ञापन कैसे निकाल दिया गया? यदि कुल रिक्तियों का पता नहीं है तो इसका 6 माह में पता लगा लिया जाए और सफल उम्मीदवारों को नियुक्त किया जाए। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता चित्तरंजन सिन्हा, अधिवक्ता इब्राहिम कबीर व अन्य ने अदालत को सिपाही नियुक्ति की सारी प्रक्रिया से अवगत कराया। कोर्ट को बताया गया कि 19 मार्च 2006 को शारीरिक जांच परीक्षा का रिजल्ट निकाला गया था। विज्ञापन के अनुसार सभी जिलों में बीएमपी, जिला पुलिस व अन्य प्रकार की सिपाहियों की बहाली की जानी थी। यहां तक कि 2007 में सेलेक्सन लिस्ट भी तैयार कर ली गयी थी। किन्तु चयनित सिपाहियों की नियुक्ति नहीं हो पायी। इस विज्ञापन को दरकिनार कर नये सिरे से नियुक्ति की जाने लगी।