नई दिल्ली, जासं : उच्च न्यायालय ने उस पिता को राहत देने से इंकार कर दिया है जिसका सपना था कि उसका बेटा भी उसी स्कूल में पढ़े, जिसमें वह पढ़ा था। अदालत ने कहा कि स्कूल के लिए यह संभव नहीं है कि वह हर एलुमनी के बेटे को दाखिला दे। न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर ने कहा कि हर व्यक्ति का उस संस्थान से जुड़ाव होता है, जिसमें वह पढ़ा हो। स्कूल की भी अपने पुराने छात्रों के बच्चों के प्रति नैतिक जिम्मेदारी होती है। परंतु यह अपेक्षा करना ठीक नहीं है कि संस्थान हर ऐसे छात्र के बच्चे को दाखिला दे। एक बच्चे ने पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वह रघुबीर सिंह जूनियर मार्डन स्कूल में पढ़ा है, इसलिए शैक्षणिक सत्र 2011-2012 में उसके बेटे को भी इसी स्कूल में दाखिला दिया जाए। स्कूल ने इस आधार पर इस बच्चे को दाखिला देने से इंकार कर दिया था।