लखनऊ, जागरण ब्यूरो : शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की जिम्मेदारी यूपी बोर्ड को सौंपने के मकसद से बेसिक शिक्षा विभाग ने माध्यमिक शिक्षा विभाग से सहमति मांगी है। इस संबंध में सचिव बेसिक शिक्षा अनिल संत ने सचिव माध्यमिक शिक्षा जितेंद्र कुमार को पत्र लिखा है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए टीईटी अनिवार्य कर दिया है। एनसीटीई द्वारा मंजूर टीईटी के प्रारूप की तर्ज पर राजकीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा का प्रारूप निर्धारित कर उसे शासन को भेजा था। पहले शिक्षक पात्रता परीक्षा के आयोजन की जिम्मेदारी एससीईआरटी को सौंपी जानी थी लेकिन बाद में शासन स्तर पर यह विचार हुआ कि यह दायित्व यूपी बोर्ड को सौंपा जाए क्योंकि उसे बड़ी परीक्षाएं आयोजित कराने की विशेषज्ञता, संसाधन व अनुभव है। यूपी बोर्ड को टीईटी के आयोजन की जिम्मेदारी सौंपने के उद्देश्य से बेसिक शिक्षा विभाग ने औपचारिक प्रस्ताव माध्यमिक शिक्षा विभाग को भेजा है। प्रस्ताव में टीईटी के आयोजन के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग की सहमति मांगी गई है। यह भी पूछा गया है कि टीईटी आयोजित कराने के लिए क्या माध्यमिक शिक्षा विभाग इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम, 1921 में वांछित संशोधन करायेगा। बेसिक शिक्षा विभाग के प्रस्ताव पर माध्यमिक शिक्षा विभाग ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक से अभिमत मांगा है। अभिमत उपलब्ध कराने के लिए बेसिक शिक्षा निदेशक को एक हफ्ते का समय दिया गया है। यूपी बोर्ड का अधिकार क्षेत्र और दायित्व इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम, 1921 द्वारा निर्धारित किये गए हैं। अधिनियम के तहत यूपी बोर्ड को प्रदेश में हाइस्कूल व इंटरमीडिएट कक्षाओं की परीक्षाएं आयोजित करने, उनके लिए पाठ्यक्रम व पुस्तकें निर्धारित करने तथा माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यालयों को मान्यता प्रदान करने का ही अधिकार दिया गया है।