बलवान शर्मा, भिवानी हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड प्रशासन हर बार परीक्षाओं पर करोड़ों रुपये खर्च करता है। अकेले नकल रोकने के लिए उड़नदस्तों पर 50 लाख रुपये से अधिक खर्च किए जाते है। परीक्षा की पवित्रता बनाए रखने की इस जद्दोजहद के बीच शिक्षा बोर्ड पिछले कुछ वर्षो से मुफ्त में अंकों की रेवड़ी बांटकर पूरी व्यवस्था पर ही सवाल खड़ा कर रहा है। पिछले तीन वर्ष से परीक्षा परिणाम में सुधार के नाम पर 30 से 45 अंक तक अंक बढ़ा दे रहा है। सन 2009 से शुरू हुआ सिलसिला पिछली बार तक जारी रहा। दसवीं कक्षा की वर्ष 2010-11 का वास्तविक परिणाम 39.41 फीसद था। मॉडरेशन के बाद यह 68.03 फीसद पर जा पहुंचा। इसी तरह बारहवीं का परिणाम 58.31 से 70.74 फीसद पर पहुंचा दिया गया। अक्टूबर 2010 में रि-अपीयर परीक्षा का परिणाम 51.97 से 61.92 फीसद कर दिया गया। प्रथम सेमेस्टर का परिणाम 50.32 से 73.43 फीसद कर दिया गया। इससे तृतीय व द्वितीय श्रेणी से सीधे प्रथम श्रेणी में पहुंच गए। नतीजा बोर्ड का परीक्षा परिणाम तो सुधर जाता है और फिसड्डी छात्रों की बल्ले-बल्ले हो जाती है, लेकिन मेहनती व स्कॉलर छात्र निश्चित तौर पर ठगे रह जाते हैं। हालांकि बोर्ड अधिकारी इसे नियम 60 ए के तहत ही मान रहे हैं। अब फिर बोर्ड परीक्षाएं जारी हैं और इन परीक्षाओं में नकल रोकने की जद्दोजहद जारी है। इस बार 251 उड़नदस्ते बनाए गए हैं। प्रत्येक उड़नदस्ते पर बोर्ड प्रशासन को करीब 15 से 20 हजार रुपये तक खर्च उठाना पड़ता है। परीक्षा की पवित्रता बनाए रखने की जिद्दोजहद के बीच उम्मीद है एक बार फिर परिणाम में सुधार के नाम पर फिर अंकों की रेवडि़यां बांटी जाएंगी। शिक्षा बोर्ड की प्रवक्ता मीनाक्षी शर्मा ने कहा कि बोर्ड का कार्य मात्र परीक्षा लेना है। परीक्षाओं के सही संचालन के लिए सभी वर्गो की सामूहिक भागीदारी व जिम्मेदारी है। शिक्षा बोर्ड का भरसक प्रयास होता है कि परीक्षाओं की पवित्रता बनाए रखे। भिवानी के पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी विष्णुदत्त शर्मा का कहना है कि शिक्षा के सुधार के साथ-साथ वर्तमान परीक्षा प्रणाली में भी आवश्यक सुधार किए जाने चाहिए। दसवीं और बारहवीं कक्षाओं की बोर्ड परीक्षाओं के दौरान कई ऐसे विषय होते हैं, जिनका विद्यार्थियों को पुन: अवलोकन करने के लिए कम से कम दो से तीन दिन का समय मिलना चाहिए।