चंडीगढ़, जागरण संवाददाता : आधुनिक संस्कृत साहित्य को एनसीआरटी एवं अन्य राज्यों के शिक्षा बोर्ड पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किए जाने की जरूरत है। इससे युवा आधुनिक संस्कृत साहित्य का जीवन में लाभ उठा सकेंगे। यह कहना है विश्वेश्वरानंद वैदिक शोध संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. जगदीश प्रसाद सेमवाल का। सेमवाल हरियाणा संस्कृत अकादमी की ओर से पंजाब विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में आधुनिक संस्कृत साहित्य-दशा और दिशा विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने दूसरे दिन के प्रथम सत्र की अध्यक्षता की। दिल्ली संस्कृत अकादमी के सचिव डॉ. सुरेश चंद्र शर्मा ने कहा कि वर्तमान में संस्कृत साहित्यकार प्रचुर मात्रा में साहित्य लिख रहे हैं, लेकिन बाल साहित्य पर कम लिखा जा रहा है। सत्र की शुरुआत पर हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ. सुधीर कुमार ने सभी विद्वानों का स्वागत किया। सेमिनार में जयपुर से डॉ. सुभाष वेदालंकार, दिल्ली विश्वविद्यालय से डॉ. गिरीश पंत, डॉ. रामचंद्र, डीएवी कॉलेज फगवाड़ा के प्राचार्य डॉ. राजकुमार महाजन, अंबाला से डॉ. आशुतोष आंगिरस, डॉ. नरेश बत्रा, चंडीगढ़ से डॉ. लखविंद्र आदि ने शोधपत्र प्रस्तुत किए।