सुधीर आर्य, फतेहाबाद हालात ठेठ देहाती और स्कूल सरकारी, लेकिन माहौल कान्वेंट स्कूल जैसा है। यहां बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं तो किसी को विश्वास ही नहीं होता कि यह सरकारी स्कूल है। दिल्ली व चंडीगढ़ से आई ज्वाइंट रिव्यू मिशन की टीम को भी एक बारगी लगा कि वे सरकारी स्कूल में हैं या कहीं और। हम बात कर रहे हैं जांडली कलां गांव के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की। इसी स्कूल के कभी छात्र रहे प्रिंसिपल दयानंद सिहाग ने बताया कि ठेठ देहात में इस स्कूल में बिना अतिरिक्त संसाधनों व स्टाफ के अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई कराई जा रही है। वर्ष 1981 में इसी स्कूल से मैट्रिक करने वाले दयानंद सिहाग ने 1995 में स्कूल में अंग्रेजी प्राध्यापक का कार्यभार संभाला और वर्ष 2002 में स्कूल के प्रिंसिपल बन गए। उनका पहला प्रयास देहात के इस स्कूल को कान्वेंट स्तर के स्कूल के रूप में विकसित करने का था। चार साल पहले छठी, सातवीं व नौंवी कक्षा के लिए अंग्रेजी माध्यम का पाठयक्रम लागू कर दिया गया। इसके बाद हर वर्ष एक कक्षा बढ़ती गई। इस स्कूल में छठी से 12वीं कक्षा के छात्रों की संख्या साढे़ सात सौ के करीब है, जिनमें से 195 बच्चे अंग्रेजी माध्यम में पढ़ रहे है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इनमें से 70 प्रतिशत छात्राएं हैं। अंग्रेजी माध्यम की कक्षाओं में बच्चों को वार्तालाप भी अंग्रेजी में ही किए जाने की हिदायतें हैं। इंग्लिश मीडियम विंग में जाने पर अध्यापकों को भी अंग्रेजी में ही बोलने की हिदायत दी गई है ताकि बच्चों को बोलने में कोई संकोच न हो। अन्य स्कूलों के लिए उदाहरण : यादव दिल्ली व चंडीगढ़ से पहुंची ज्वाइंट रिव्यू मिशन की टीम ने भी इस स्कूल को अन्य सरकारी स्कूलों के लिए उदाहरण बताया है। सर्व शिक्षा अभियान के निदेशक पंकज यादव ने कहा कि यह विद्यालय अन्य विद्यालयों के लिए अनुकरणीय उदाहरण बन सकता है। यहां का शैक्षणिक माहौल बेहतरीन है। दिल्ली से पहुंचे कमेटी के इंचार्ज कृष्ण कुमार ने कहा कि इतना बढि़या कैंपस और एसएमसी व अध्यापकों के बीच का तालमेल कहीं देखने को नहीं मिला।