Monday, 23 January 2012

निजी विद्यालयों पर कसेगा शिकंजा

चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो : हरियाणा के निजी व मान्यता प्राप्त स्कूलों में आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों के बच्चों को दाखिले नहीं मिल रहे हैं। निजी स्कूल संचालक कई तरह की अड़चनें पैदाकर ऐसे बच्चों को दाखिले से वंचित कर रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने इस मनमानी को गंभीरता से लिया है। शिक्षा निदेशक ने जिला शिक्षा अधिकारियों की 30 जनवरी को करनाल में बैठक बुलाई है। हरियाणा स्कूल शिक्षा नियम 2003 के तहत धारा 134-ए का प्रावधान किया गया है। शिक्षा के अधिकार कानून 2010 से पहले इस धारा के तहत प्रदेश के प्रत्येक निजी व मान्यता प्राप्त स्कूल में आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों को 25 प्रतिशत दाखिले देने का प्रावधान है। इस नियम के तहत व्यवस्था की गई है कि इन स्कूलों में गरीब परिवारों के बच्चे पहली से आठवीं कक्षा तक सरकारी स्कूल की फीस पर पढ़ेंगे। सरकारी स्कूलों में अब इस श्रेणी के बच्चों से कोई फीस नहीं ली जाती। उन्हें मुफ्त शिक्षा देने का आदेश है। नौवीं से 12वीं तक के बच्चों को सरकारी स्कूल की फीस देकर निजी व मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ाई करने का प्रावधान है। रोहतक के अधिवक्ता सत्यवीर सिंह हुड्डा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि प्राइवेट व मान्यता प्राप्त स्कूलों में धारा 134-ए के प्रावधानों पर अमल नहीं किया जा रहा है। दस्तावेज पूरे नहीं होने अथवा अन्य कई कमियां निकालकर जानबूझकर गरीब बच्चों के फार्म रद किए जा रहे हैं। प्रदेशभर में यही हालात हैं। हाईकोर्ट को बताया गया है कि 70 से 90 फीसद गरीब बच्चों के आवेदन रद किए जा रहे हैं। हाईकोर्ट के निर्देश पर हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल राठी ने कहा है कि प्राथमिक शिक्षा व स्कूल शिक्षा महानिदेशक को स्वयं पूरी स्थिति पर निगाह रखने को कहा गया है। दोनों अधिकारी प्रत्येक मंगलवार को दोपहर 12 से एक बजे तक शिकायतें सुनने के लिए अधिकृत किए गए हैं। इसके अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारियों को भी इसी दिन व इसी समय शिकायतें सुनने के निर्देश दिए गए हैं। दूसरी तरफ, माध्यमिक शिक्षा निदेशक समीर पाल ने हरियाणा स्कूल शिक्षा (संशोधित) नियम 2003 के नियम 134-ए के क्रियान्वयन की समीक्षा के लिए 30 जनवरी को करनाल में प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों की बैठक बुलाई है।
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