निजी स्कूलों के प्रति राज्य सरकार का रवैया आमतौर पर नरम ही रहा है। मान्यता से लेकर जमीन आवंटन, सरकारी अनुदान आदि में प्रक्रियागत विलंब अधिक नहीं होता। शिक्षा विकास, साक्षरता दर में वृद्धि की दलील रामबाण का काम करती है और निजी स्कूल फटाफट मंजूरी और मान्यता पा जाते हैं। कैसी विवशता है कि सरकारी नियम, प्रस्ताव और प्रावधान प्राइवेट स्कूलों के आसपास मंडराते तो हैं, पर शायद बाइपास से ही निकल जाते हैं। हरियाणा स्कूल शिक्षा नियम 2003 के तहत धारा 134-ए के प्रावधानों का निजी स्कूलों में उपहास ही उड़ रहा है। अब तो शिक्षा का अधिकार कानून के तहत प्राइवेट स्कूलों के दायित्व में और वृद्धि हुई है परंतु किसी भी स्कूल में 25 तो क्या पांच फीसद गरीब बच्चों को दाखिला नहीं दिया गया। छोटे और मध्यम दर्जे के विद्यालयों में चर्चा तो हो जाती है परंतु बड़े निजी स्कूलों में तो निश्शुल्क या सरकारी खर्चे पर दाखिला चाहने वाले बच्चों व उनके अभिभावकों को तिरस्कार भाव से देखा जा रहा है। बड़े स्कूल दो तरह से ऐसे बच्चों में हीन भावना पैदा करते हैं। एक तो कोई भी बहाना बना कर दाखिले से इनकार और दूसरा उन स्कूलों की चकाचौंध, भवन की भव्यता, वाहनों की कतार, कंप्यूटर, एलसीडी मॉनिटर, कांफ्रेंस हॉल उस बच्चे को स्वयं कदम पीछे खींचने को मजबूर कर देते हैं। ऐसे बच्चों की बाकायदा काउंसलिंग करके मानसिक स्तर इस लायक बनाया जाना चाहिए कि वह अपने को हीन न समझे लेकिन निजी स्कूल संचालक मोटिवेट करने के बजाय टरकाते हैं। हर शहर में कई बड़े प्राइवेट स्कूलों के लिए जमीन सरकार से रियायती दरों पर ली गई है। इस प्रक्रिया के दौरान यह स्पष्ट शर्ते होती है कि वे अपने विद्यालय में 25 फीसद सीटों पर निर्धन छात्रों को निश्शुल्क दाखिला देंगे, परंतु जमीन और अनुमति मिलने के बाद सब कुछ भुला दिया जाता है। जिला शिक्षा अधिकारी से लेकर स्कूल शिक्षा महानिदेशक के स्तर तक कभी पहल नहीं हुई। दसियों साल से स्कूलों की मान्यता का मुद्दा हर वर्ष दिसंबर में उफान पर होता है लेकिन मार्च तक आते-आते मान्यता अवधि फिर एक साल के लिए बढ़ा दी जाती है। शिक्षा का अधिकार कानून व धारा 134-ए के अनुपालन के लिए सरकार को अपना रवैया और नजरिया सख्त, व्यावहारिक और परिणामोन्मुखी बनाना होगा। निजी स्कूल परिवहन व्यवस्था पर प्रशासन ने जैसी तत्परता, मुस्तैदी दिखाई वैसी ही गरीब बच्चों के लिए 25 फीसद सीटें निजी स्कूलों में सुनिश्चित करने के लिए भी दिखाई जाए।