Thursday, 19 January 2012

समान मानक के दायरे में होंगे शिक्षण संस्थानों के बही-खाते

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और दूसरे सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में सरकारी धन का मनमाना खर्च सरकार को अखरने लगा है। लिहाजा वह सभी केंद्रीय शिक्षण संस्थानों व केंद्रीय निकायों के अधीन दूसरे शिक्षण संस्थानों के खातों के लिए एक जैसा मानक तय करने जा रही है। 2013 से अमल में आने वाली यह नई व्यवस्था केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अधीन स्कूलों पर भी लागू होगी। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने बुधवार को यहां यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम के पीछे मुख्य मंशा सभी शिक्षण संस्थानों के खातों में आने वाले धन और उनके खर्च को पारदर्शी बनाना है। उच्च शिक्षण संस्थानों के खातों के मानकीकरण के लिए भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट संस्थान को रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी बीते साल के शुरू में दी गई थी। उसकी रिपोर्ट आ गई है। उसे यूजीसी से अनुदान पाने वाले सभी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) व राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से मान्यता प्राप्त सभी शिक्षण संस्थानों पर लागू किया जाएगा। जबकि, सीबीएसई से संबद्ध स्कूल भी उसके दायरे में होंगे। सिब्बल ने कहा कि सरकार ने भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट संस्थान की रिपोर्ट को सैद्धांतिक मंजूरी तो दे दी है, लेकिन वह इस पर आम चर्चा भी चाहते हैं। उसके लिए शिक्षण संस्थानों के प्रबंधतंत्रों से विचार-विमर्श किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि इसे सभी राज्य लागू करें। लिहाजा उस पर आम चर्चा के बाद शिक्षा संबंधी फैसलों की सबसे बड़ी बॉडी केंद्रीय शिक्षा सलाहकार समिति (केब) में उस पर फिर से विचार-विमर्श होगा जिसमें सभी राज्यों के शिक्षा मंत्री भी शामिल होते हैं। इस मौके पर भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट संस्थान के चेयरमैन जी. रामास्वामी ने कहा कि शिक्षण संस्थानों के खातों के मानकीकरण के क्रम में उन्हें अपनी आय और खर्च की बैलेंस शीट लगातार तैयार करनी होगी।
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