Tuesday 17 January 2012

रबंध कौशल दिखाओ

हरियाणा में कई संदर्भो में शिक्षा विभाग को सर्वाधिक गतिशील लेकिन उतना ही अस्थिर, चंचल कहा जा सकता है। चाहे वह 1995 में 89 दिन के लिए शुरू प्राध्यापक भर्ती का मामला हो, अनुबंधित, पात्र अध्यापकों की भर्ती या पात्रता परीक्षा अथवा अतिथि अध्यापक हो, हर जगह सरकारी फैसले के साथ कोर्ट का नाम अवश्य आ जाता है। प्रदेश सरकार के नए हलफनामों ने 13 हजार गेस्ट टीचरों पर लटकी तलवार से सात माह के लिए राहत तो दिलवा दी पर साथ ही यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ है कि विभागीय प्रक्रिया यदि इस तरह घिसट कर चलेगी तो शिक्षा के स्वरूप का किस प्रकार कल्याण संभव हो पाएगा। गेस्ट टीचर अब 31 मार्च, 2012 के बजाय 30 सितंबर तक पदों पर कार्यरत रहेंगे। एक तरफ तो शिक्षा विभाग नए सत्र से त्रिस्तरीय प्रणाली लागू करने जा रहा है, दूसरी ओर शिक्षा क्षेत्र में न आत्मनिर्भरता की स्थिति बन पाई, न सक्षमता की। कोर्ट के पुराने आदेश और विभाग की शिथिलता के कारण भावी अध्यापकों का एक बड़ा समूह भी अपेक्षा, उम्मीद के चलते सरकार के हर फैसले पर नजर गड़ाए बैठा है। 13 हजार गेस्ट टीचर व 22 हजार रिक्त पदों पर संभावित भर्ती के मद्देनजर बीएड की तरफ छात्रों का रुझान अप्रत्याशित रूप से बढ़ा। पात्रता परीक्षा में रिकार्ड साढ़े चार लाख से अधिक भावी अध्यापक बैठे। गेस्ट टीचरों के भरोसे सरकारी स्कूलों का परीक्षा परिणाम छोड़ दिया जाना किसी भी प्रकार से उचित नहीं माना जा सकता। परिणाम खराब आने पर क्या गेस्ट टीचर की एसीआर पर प्रतिकूल टिप्पणी संभव है? क्या पूर्ण सरकारी कर्मचारी जितनी जिम्मेदारी, जवाबदेही की गेस्ट टीचर से उम्मीद की जा सकती है? क्या अच्छा रिजल्ट देने पर उसे पदोन्नति का प्रावधान है? उन्हें पक्के करने के लिए क्या उस परिणाम को आधार माना जाएगा? यदि ऐसा कुछ भी प्रावधान है तो पिछले पांच वर्षो के दौरान किसी गेस्ट टीचर को पक्का क्यों नहीं किया गया? किसी को भी पदोन्नति क्यों नहीं मिली? कारण साफ है कि कहीं न कहीं व्यवस्था, प्रक्रिया और नीति की खामियां आड़े आ रही हैं। सरकार किसी कीमत पर इतनी बड़ी संख्या में कार्यरत अतिथि अध्यापकों व उनके हजारों परिजनों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती। साथ ही नौकरी के इंतजार में बैठे 70 हजार भावी अध्यापकों की भावनाओं का भी उसे आदर करना है। ऐसे में तमाम शिथिलताओं से तत्परता से छुटकारा पाकर सरकार को किसी ऐसे मध्य मार्ग का चयन करना होगा जिससे सभी पक्ष संतुष्ट हों और सरकार का प्रबंध कौशल भी साबित किया जा सके।
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