Tuesday, 20 December 2011

जेल में काट रहे सजा, लेकिन ले रहे निर्वाचन क्षेत्र और मेडिकल भत्ता

लखनऊ ये माननीय विधायक हैं। इनकी नैतिकता पर गौर कीजिए। कई सालों से जेल में बंद हैं, लेकिन निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और चिकित्सकीय भत्ता भी। वेतन तैयार करने वाले महकमे को मालूम है कि विधायक जी जेल में बंद चल रहे तो किस बात का निर्वाचन क्षेत्र और चिकित्सकीय भत्ता? लेकिन उनकी मजबूरी यह है कि अभी तक कोई ऐसा कानून नहीं बना है, जो उन्हें यह अधिकार देता हो कि जेल में बंद होने की दशा में वेतन के साथ देय इस प्रकार के भत्तों का भुगतान रोक दिया जाए। इसलिए वह जब तक विधायक हैं, उन्हें देय सभी भत्ते वेतन के साथ मिलते रहेंगे। इस मामले में यदि विधायक खुद लिखकर दे कि वह जेल में बंद है, इसलिए न तो उसे बाहर इलाज की जरूरत है और न ही वह निर्वाचन क्षेत्र को वक्त दे पाते हैं तो उनको देय यह दोनों भत्ते रोके जा सकते हैं। लेकिन यह लिखकर देने को विधायक जी तैयार नहीं हैं। यहां तक कि वे विधायक भी नहीं, जो उम्रकैद की सजा भुगत रहे हैं। चूंकि इस तरह के विधायक सभी दलों में हैं, इसलिए कोई दल कानून में बदलाव भी नहीं चाहता। इसका फायदा विभिन्न मामलों में सजा पाए नेता उठा रहे हैं। इस मामले में राजनीतिक अनिच्छा का फायदा उठाया जा रहा है। राज्य के प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के नेता जेल में बंद हैं, ऐसे में उनकी स्थिति को बखूबी समझा जा सकता है। कौन-कौन ले रहे भत्ते आनंद सेन फैजाबाद के मिल्कीपुर से विधायक हैं। वे मंत्री भी रहे हैं। चर्चित शशि कांड में वर्ष 2008 से जेल में बंद हैं। इस मामले में उन्हें उम्र कैद की सजा भी हो चुकी है, लेकिन जेल में होते हुए भी निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और चिकित्सकीय भत्ता का लाभ उठा रहे हैं। हत्या के आरोप में मुरादाबाद के विधायक उस्मानुल हक को भी उम्र कैद की सजा हो चुकी है। वह भी वर्ष 2009 से जेल में बंद हैं, लेकिन उन्हें भी निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और चिकित्सकीय भत्ता लेने से कोई गुरेज नहीं। अमरमणि त्रिपाठी को भी मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में उम्रकैद की सजा हो चुकी है। वह भी कई सालों से जेल में बंद चल रहे हैं, लेकिन उनके खाते में भी हर महीने दोनों भत्ते जा रहे हैं। मनोज गुप्ता इंजीनियर हत्याकांड में औरैया के विधायक शेखर तिवारी वर्ष 2008 से और बांदा के शीलू बलात्कार कांड के आरोपी विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी जनवरी 2010 से जेल में बंद हैं, लेकिन लगातार निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और चिकित्सकीय भत्ता ले रहे हैं। मुख्तार अंसारी और विजय मिश्र की भी यही हाल है। लगातार जेल में बंद होते हुए भी माफिया मुख्तार अंसारी और विजय मिश्र दोनों भत्ते ले रहे हैं। एक विधायक को उसके वेतन के साथ 22 हजार रुपये महीने निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और दस हजार रुपये चिकित्सा भत्ता मिलता है। कुल वेतन पचास हजार रुपये मासिक है। इस पचास हजार रुपये के अलावा उन्हें 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जनसेवा भत्ता देय है, यात्रा करने के लिए विमान और रेल के कूपन तो मिलते ही हैं, साथ ही यात्रा भत्ता भी मिलता है। सदन चलने की स्थिति में पांच सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से सदन भत्ता भी देय होता है। टेलीफोन के लिए भी उन्हें अलग से भत्ता दिया जाता है। नैतिकता नहीं तो बदलें कानून विधान परिषद के सबसे वरिष्ठतम सदस्य ओम प्रकाश शर्मा कहते हैं कि एक-दो हफ्ते की बात हो तो ठीक है, लेकिन सालों-साल जेल में बंद होने पर भी निर्वाचन क्षेत्र और चिकित्सा भत्ता लेने को किसी भी सूरत में जायज नहीं ठहराया जा सकता। ऐसे विधायकों को तो खुद इस तरह के भत्ते नहीं लेने चाहिए, लेकिन अगर उनमें नैतिकता नहीं है तो सरकार को कानून बनाकर यह तय कर देना चाहिए कि एक निश्चित समय के बाद लगातार जेल में होने पर कोई भी विधायक निर्वाचन क्षेत्र और चिकित्सा भत्ता पाने के योग्य नहीं होगा।
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