जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली देश भर के सभी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए एक ही परीक्षा शुरू होने में कम से कम एक साल का वक्त और लग सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय वर्ष 2013 से इसे लागू करने के लिए जल्दी ही अधिसूचना जारी कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट के अपनी ओर से इस मामले में दखल देने से इंकार के बाद मंत्रालय ने यह फैसला किया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक साझा प्रवेश परीक्षा के लिए नए सिरे से अधिसूचना जारी की जाएगी। इसमें साल 2013 से सभी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) शुरू किए जाने का प्रावधान किया जाएगा। इस दौरान जो राज्य अपनी स्थानीय भाषा में परीक्षा का आयोजन करवाना चाहते हैं, उनके मुताबिक इंतजाम किए जा सकेंगे। इसी तरह इस परीक्षा के पाठ्यक्रम को लेकर छात्र भी ज्यादा सजग हो सकेंगे। कुछ राज्यों में अभी मेडिकल प्रवेश परीक्षा में सिर्फ 12वीं के पाठ्यक्रम से सवाल पूछे जाते हैं, जबकि केंद्रीय स्तर पर होने वाली इस परीक्षा में 11वीं और 12वीं दोनों के पाठ्यक्रम को शामिल किया गया है। इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) की पहल पर इसी साल से यह परीक्षा आयोजित करने की तैयारी की थी। एमसीआइ के कहने पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने सारी तैयारियां कर इसके लिए तारीख का एलान भी कर दिया था। मगर मंत्रालय में राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी की वजह से मेडिकल शिक्षा के आधुनिकीकरण की दिशा में एक अहम कदम आगे बढ़ने से रुक गया है। खुद केंद्र सरकार भी कह चुकी है कि यूपीए-2 सरकार में स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में यह एक अहम सुधार हो सकता था। साझा प्रवेश परीक्षा पर अपने इस ढुलमुल रवैये की वजह से स्वास्थ्य मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट से कई बार फटकार सुन चुका है। शुक्रवार को भी सुप्रीम कोर्ट ने उसे लताड़ लगाई थी। क्योंकि मंत्रालय ने आवेदन किया था कि उसे प्रवेश परीक्षा करवाने के लिए एक साल का और समय दिया जाए। मगर अदालत ने कहा था कि इसे यह काम कब करना है, इस बारे में खुद तय करे और अपना आवेदन वापस ले। वहीं देश भर के निजी मेडिकल कालेज के प्रबंधक इस परीक्षा का पुरजोर विरोध करते रहे हैं। इसी तरह पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु समेत कुछ राज्य सरकारों ने भी तुरंत इस परीक्षा को शुरू न करने का अनुरोध किया था।