Thursday 10 November 2011

शिक्षा सुधार के एजेंडे पर हरकत में आई सरकार

राजकेश्वर सिंह, नई दिल्ली शिक्षा सुधार के एजेंडे पर साल भर से जहां की तहां खड़ी सरकार संसद का शीतकालीन सत्र नजदीक आते देख फिर हरकत में है। पूर्व में खुद सत्तापक्ष के ही सांसदों की वजह से दो विधेयकों को पारित कराने में नाकाम रही सरकार इस बार उन्हें पहले से ही समझाने-बुझाने में जुट गई है। पूरी कोशिश करीब दर्जनभर लंबित विधेयकों को संसद से पारित कराने की है। चार नए विधेयक पेश करने की तैयारी भी है। शिक्षा से जुड़े वैसे तो लगभग दर्जनभर विधेयक संसद में लंबित हैं, लेकिन उनमें से कुछ विधेयक पारित न हो पाने से सुधार के एजेंडे पर एक तरह से ब्रेक लग गया है। मसलन शैक्षिक ट्रिब्यूनल विधेयक बीते साल के शीतकालीन सत्र से ही लंबित पड़ा है। लोकसभा से पारित होने के बावजूद राज्यसभा में खुद कांग्रेस सदस्यों ने इसका जबरदस्त विरोध किया। विपक्ष ने भी वही रुख अख्तियार किया। लिहाजा विधेयक पारित नहीं हो पाया। शिक्षा में सुधार से जुड़े इस विधेयक पर कुछ दूसरे विधेयकों का भी दारोमदार है, क्योंकि उनसे जुड़े कानूनों का वास्ता शैक्षिक ट्रिब्यूनल कानून के प्रावधानों के अमल से जुड़ा है। संसद के पिछले सत्र में आइआइआइटी कांचीपुरम विधेयक-2011 भी राज्यसभा में नहीं पारित हो सका। तब सत्तापक्ष के एक सदस्य ने ट्रिपल आइटी फैकल्टी के लिए अनुसूचित जाति के आरक्षण का सवाल उठा दिया था। अब मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल खुद संप्रग के लोकसभा व राज्यसभा सदस्यों को समझाने की कोशिश में लगे हैं। गौरतलब है कि विश्वविद्यालयों, तकनीकी और मेडिकल संस्थानों में अनुचित कार्यकलाप विधेयक, उच्च शिक्षा राष्ट्रीय मान्यता नियामक प्राधिकरण, विदेशी शिक्षण संस्थान प्रवेश व संचालन, कॉपीराइट संशोधन, प्रौद्योगिकी संस्थान संशोधन, केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन , राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान संशोधन , आर्किटेक्ट संशोधन, शिक्षा का अधिकार कानून संशोधन और नेशनल अकादमिक डिपोजिटरी से संबधित विधेयकों को संसद की मंजूरी नहीं मिल सकी है। इनमें एकाध को छोड़कर सभी पर संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट आ चुकी है। इस सबके बीच सरकार देश में इनोवेशन विश्वविद्यालयों को खोलने की तैयारी में जुट गई है। विधेयक तैयार है। कानून मंत्रालय की हरी झंडी मिल चुकी है। उच्च शिक्षा एवं शोध विधेयक व केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को संवैधानिक संस्था का दर्जा देकर और अधिकार संपन्न बनाने के लिए विधेयक का भी मसौदा तैयार है।
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