Tuesday, 8 November 2011

मनमानी पर रोक जरूरी

निजी शिक्षण संस्थानों के बारे में या तो सरकारी तंत्र में सक्षम नीति-रणनीतिकार का अभाव है या फिर दृष्टिकोण में स्पष्टता नहीं। निजी संस्थान अपने संसाधनों और आक्रामक रणनीति के बल पर मजबूत पैरवी करके बाजी मार ले जाते हैं। जिस रफ्तार से प्रदेश में निजी व्यावसायिक व शिक्षण संस्थाओं की संख्या बढ़ी, लगभग उसी गति से वे निरंकुश भी होती गई। शिक्षा विभाग द्वारा तय मानदंडों का हरण होता गया और सब्जबाग देखने की कीमत हर बार छात्रों को ही चुकानी पड़ी। सरकार कभी सख्त दिखाई नहीं दी। हार कर अदालत का सहारा लिया जाने लगा और जब-तब ऐसे फैसले आते रहे जो सरकारी प्रक्रिया पर प्रश्नचिन्ह चस्पां करते नजर आए। एक ताजातरीन फैसले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अधिक शुल्क वसूलने वाले निजी शिक्षण संस्थानों के प्रति तीखे तेवर दिखाकर न केवल छात्रों को राहत प्रदान की बल्कि शिक्षा विभाग और प्रदेश सरकार को अपना तंत्र दुरुस्त करने की चेतावनी भी दी। अभ्यर्थी से 18,400 के बदले 46 हजार मांगे गए जो न तो विवरणिका में दर्ज थे, न ही उस निजी शिक्षण संस्था की प्रचार सामग्री में। हाईकोर्ट ने निजी शिक्षण संस्थानों की औचक जांच के लिए फ्लाइंग स्क्वाड गठित करने का निर्देश दिया है। नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन भी जेबीटी व बीएड कॉलेजों की जांच कर अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपेगी। प्रदेश सरकार को तमाम संदर्भो को गंभीरता से लेना होगा। शिक्षा का स्तर व साक्षरता दर बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता तभी साकार रूप ले सकेगी जब शिक्षा नीति के छिद्र बंद होंगे। इन छिद्रों से शासन-प्रशासन की साख भी रिसने लगती है। उदारता का अर्थ यह कदापि नहीं कि व्यवस्था को दीमक लग जाए और नियंता हाथ पर हाथ धरे बैठा रहे। हर जिला मुख्यालय पर फीस व अन्य मापदंडों की निगरानी के लिए सक्षम तंत्र का गठन शिक्षा विभाग को तत्काल निश्चित करना होगा। बीएड, जेबीटी के साथ निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों को मान्यता में अत्यधिक उदारता का लाभ छात्रों को उतना नहीं मिला जितनी अपेक्षा थी। आज स्थिति यह है कि 40 फीसद से अधिक सीटें खाली हैं। इसके बावजूद छात्रों से निर्धारित शुल्क से अधिक फीस वसूलने के कई मामले भी सामने आ चुके हैं। यानी जहां दांव लगे वहीं लाभ झटकने की कोशिश जारी है। सरकार को इस अव्यवस्था, मौकापरस्ती और शिक्षा नीति की खिल्ली उड़ाने की कोशिशों पर तत्काल अंकुश लगाकर व्यवस्था में विश्वास की भावना को जगाना होगा।
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