Monday, 7 November 2011

44 डीम्ड विवि को सुप्रीम कोर्ट समिति का झटका

नई दिल्ली
मान्यता छिनने की आशंका का सामना कर रहे 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों को एक और झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एक समिति ने पहले की एक समीक्षा समिति के इस विचार से सहमति जताई है कि ये संस्थान डीम्ड दर्जे के आवश्यक मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं। केंद्र इन विवि की मान्यता समाप्त करने का पक्ष पहले ही ले चुकी है। इन विश्वविद्यालयों में लगभग दो लाख विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में ‘कमेटी ऑफ आफिसर्स’ ने कहा कि वह विशेषज्ञ समिति के नतीजों से इत्तफाक रखती है। इस समिति में अकादमिक विशेषज्ञ शामिल थे। इन विश्वविद्यालयों ने प्रोफेसर टंडन की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति व समीक्षा समिति की सिफारिशों के आधार पर उनके डीम्ड के दर्जे को हटाने के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के कदम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद शीर्ष कोर्ट ने 11 जनवरी को अशोक ठाकुर, एनके सिन्हा और एसके राय की तीन सदस्यीय समिति बनाई। टंडन समिति ने इन विश्वविद्यालयों को ‘सी’ श्रेणी में डाला जिसका मतलब था कि ये अपना डीम्ड का दर्जा बरकरार रखने के लिए फिट नहीं हैं। ये संस्थान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानकों को पूरा करने में विफल रहे हैं और निजी जागीर की तरह संचालित हो रहे हैं। शीर्ष कोर्ट की समिति के अनुसार अधिकतर विश्वविद्यालयों ने माना कि वे महज कॉलेज हैं जो राज्य विश्वविद्यालयों से संबद्ध हैं। उनमें नए पाठ्यक्रम शुरू करने या पीएचडी आदि कराने के लिहाज से कामकाज की स्वायत्तता नहीं है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दलवीर भंडारी और जस्टिस दीपक वर्मा की बेंच को आश्वासन दिया है कि वह छात्रों के अकादमिक हितों का ख्याल रखेगी।
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