Wednesday 12 October 2011

अब नहीं चलेगी किताबी मनमानी

एस.के.गुप्ता, नई दिल्ली स्कूलों में सीसीई (सतत समग्र मूल्यांकन पद्धति) लिखी निजी प्रकाशकों की किताबें चलने को लेकर सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) सख्त कदम उठाने जा रही है। बोर्ड निजी स्कूल और प्रकाशकों की मिलीभगत को रोकने के लिए जल्द ही सरकुलर जारी करने जा रहा है। सरकुलर में स्पष्ट निर्देश होंगे कि स्कूल एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद)व बोर्ड की पाठ्य पुस्तकें ही पढ़वाएं। किसी स्कूल में अन्य पाठ्य पुस्तकें पढ़वाने को लेकर शिकायत आएगी तो बोर्ड स्कूल के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा। दरअसल स्कूल प्रबंधन निजी प्रकाशकों को फायदा पहुंचाने के लिए उन्हीं प्रकाशकों की पाठ्य पुस्तकें खरीदने पर जोर देते हैं, जिनसे उनका कमीशन फिक्स होता है। कुछ समय बाद स्कूल प्रशासन छात्रों को बोर्ड का डर दिखा कर सीबीएसई की पुस्तकें खरीदने को कहते हैं। इससे किताबों की खरीद को लेकर अभिभावकों पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है। बोर्ड चेयरमैन विनीत जोशी ने बताया कि अक्सर देखने में आता है कि नया सत्र शुरू होने से पहले अगली कक्षा की किताबों के बिक्री काउंटर निजी स्कूलों में सज जाते हैं। जिन पर एनसीईआरटी की किताबें होनी चाहिए। लेकिन अभिभावकों को सीसीई लिखी निजी प्रकाशकों की किताबें मिलती हैं, जो तय मानकों के अनुरूप नहीं हैं। सीसीई लिखी इन पुस्तकों का वास्तविक तौर पर सीसीई से कोई सरोकार नहीं होता, क्योंकि सीसीई का मतलब छात्रों को स्कूलों में कराई जाने वाली अतिरिक्त गतिविधियों से है। जहां तक पढ़ाई का मतलब है तो उसके लिए एनसीईआरटी और सीबीएसई बोर्ड की पाठ्य पुस्तकों की सामग्री ही तय मानकों के अनुरूप है। सीबीएसई की मोनिटरिंग कमेटियां हैं। पहले सरकुलर जारी कर स्कूलों को निजी प्रकाशकों की किताबें चलवाने से मना किया जाएगा। उसके बाद मोनिटरिंग कमेटियों को जांच के लिए स्कूलों में भेजा जाएगा। कोई भी स्कूल तय मानक की पाठ्य पुस्तकों से अलग पाठ्य सामग्री का उपयोग करता मिला तो कार्रवाई होगी।
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