नीरज अम्बष्ठ, रांची झारखंड में विज्ञान वर्ग से 12वीं पास (किसी भी श्रेणी में) सभी छात्र-छात्राओं को इंजीनियर बनने का मौका मिलेगा। अभ्यर्थी ने भले ही प्रदेश स्तरीय संयुक्त प्रवेश परीक्षा में एक नंबर भी (निगेटिव मार्किग) न पाया हो उसे निजी शिक्षण संस्थान में प्रवेश मिलेगा। एआइसीटीई द्वारा जारी दिशा निर्देशों की अवहेलना कर यह सारा खेल निजी संस्थानों की सीटें भरने के लिए किया गया है। एआइसीटीई ने इस बार इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए सामान्य वर्ग के लिए बारहवीं की परीक्षा में न्यूनतम 45 फीसदी तथा एससी-एसटी के 40 प्रतिशत अंक की अर्हता रखी। इसी आधार पर झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा परिषद ने दाखिला परीक्षा आयोजित की। इसके बाद दो-दो काउंसिलिंग की, फिर भी कई निजी कालेजों में अधिकांश सीटें खाली रहीं। इन सीटों को भरने के लिए विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग के निदेशक अरुण कुमार ने तत्कालीन विभागीय सचिव सुधीर प्रसाद द्वारा 8 मई 2010 को जारी उस अधिसूचना के आधार पर नामांकन लेने का निर्देश जारी कर दिया, जिसमें परिषद द्वारा काउंसिलिंग के बाद रिक्त सीटों पर सीधे बारहवीं के छात्रों के दाखिले की अनुमति दी गई थी। उस समय भी एआइसीटीई के गाइड लाइन का अनुपालन नहीं हुआ था।