Saturday, 15 October 2011

पावर ऑफ अटार्नी से संपत्ति खरीदना अवैध

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली 
अगर आप मकान, दुकान, भूखंड या अन्य अचल संपत्ति खरीद रहे हैं, तो जान लीजिए कि जनरल पावर ऑफ अटार्नी (जीपीए) के जरिए संपत्ति हस्तांतरण पूर्ण और वैध नहीं है। इससे संपत्ति पर मालिकाना हक नहीं मिलता। मालिकाना हक रजिस्ट्री के बाद ही मिलता है और तभी संपत्ति क्रेता के नाम दर्ज हो सकती है। यह व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का देश भर में अचल संपत्ति की खरीद-फरोख्त पर व्यापक असर पड़ेगा। दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में जीपीए के जरिए अचल संपत्ति की खरीद-फरोख्त होती है। कोर्ट ने इस फैसले के बाद होने वाली दिक्कतों को समझते हुए साफ किया है कि जिन लोगों ने इस जरिए से संपत्ति का लेन-देन किया है, उन्हें रजिस्ट्री कराने के लिए पर्याप्त समय दिया जाए। यह भी कहा है कि उनका फैसला अब से लागू होगा ताकि लोगों को परेशानी न झेलनी पड़े। सुप्रीम कोर्ट ने सुराज लैंप एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड बनाम हरियाणा राज्य के मामले में जीपीए, बिक्री करार एवं वसीयत के जरिए संपत्ति हस्तांतरण के कानूनी पहलू का विश्लेषण करते हुए कहा है कि इनके जरिए संपत्ति का हस्तांतरण पूर्ण और वैध नहीं है। न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन, एके पटनायक एवं एचएल गोखले की पीठ ने कहा है कि इनके आधार पर राजस्व एवं म्युनिसिपल रिकॉर्ड में संपत्ति दाखिल-खारिज नहीं हो सकती। यह फैसला सिर्फ फ्री होल्ड प्रॉपर्टी पर ही नहीं, बल्कि लीज होल्ड प्रॉपर्टी पर भी लागू होगा। लीज (पट्टा) का हस्तांतरण भी सिर्फ रजिस्ट्री के जरिए ही वैध हस्तांतरण माना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब जीपीए के जरिए होने वाली खरीद-फरोख्त को खत्म करने का समय आ गया है। कोर्ट ने साफ किया है कि जो लोग फैसले से पहले जीपीए के आधार पर लेन-देन कर चुके हैं, वे इसे नियमित कराने के लिए आवेदन कर सकते हैं। जिन मामलों में विकास प्राधिकरण, डीडीए अथवा म्युनिसपिल व राजस्व विभाग इन दस्तावेजों को दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) प्रक्रिया के लिए स्वीकार कर चुके हैं, वे मामले इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगे।
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