इलाहाबाद, जागरण ब्यूरो : हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने कहा है कि यदि कोई नागरिक शस्त्र लाइसेंस की मांग अपनी सुरक्षा के लिए करता है तो उसकी मांग मनमाने तौर पर अस्वीकार नहीं की जा सकती। अपनी रक्षा के लिए शस्त्र लाइसेंस लेना व्यक्ति के जीवन के मूल अधिकार में शामिल है। कोर्ट ने निर्देश के बावजूद शस्त्र लाइसेंस देने से इंकार करने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। राज्य सरकार पर 25 हजार रुपये का हर्जाना लगाते हुए जिलाधिकारी गाजियाबाद को याची के शस्त्र लाइसेंस के मामले में नए सिरे से निर्णय लेने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार को हर्जाना राशि जिम्मेदार अधिकारी से वसूल करने की छूट दी है। याची साहिबाबाद निवासी तेज पाल सिंह चौहान के अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी का कहना था कि हाईकोर्ट द्वारा जिलाधिकारी को दो बार निर्णय लेने के आदेश दिए जाने के बावजूद एक ही आधार पर अर्जी निरस्त कर दी गई। जिलाधिकारी का मानना है कि याची शस्त्र चलाने के लिए प्रशिक्षित नहीं है और भाइयों के बीच वाद चल रहा है। हाईकोर्ट ने कहा कि शस्त्र लाइसेंस देने से केवल इस आधार पर इनकार किया जा सकता है कि स्वयं की सुरक्षा के नाम पर लाइसेंस लेकर उसका वह दुरुपयोग कर सकता है।