Thursday 15 September 2011

अब निदेशक के हाथ में फैसला

दयानंद शर्मा, चंडीगढ़ प्रदेश के शिक्षा विभाग में कार्यरत अतिथि अध्यापकों की नियुक्तियों में व्यापक अनियमितता के मद्देनजर कराई गई विभागीय जांच में दोषी पाए गए 750 अतिथि अध्यापकों के भविष्य का फैसला निदेशक के हाथ में है। हाईकोर्ट ने निदेशक को निर्देश जारी किया है। शिक्षा विभाग द्वारा वर्ष 2010 में सात डिप्टी डायरेक्टरों को जांच अधिकारी नियुक्त करते हुए प्रदेश में कार्यरत 15000 से ज्यादा अतिथि अध्यापकों की नियुक्तियों में धांधली की जांच कराई गई थी। अधिकारियों ने पाया कि अकेले फरीदाबाद में ही प्रवक्ता पदों की 83 में 40, मास्टर वर्ग में 120 में से 93 तथा सीएंडवी वर्ग में 58 में से 46 नियुक्तियां नियम को ताक पर रखकर की गई थीं। दोषी पाए गए 750 से ज्यादा गेस्ट टीचर प्रदेश में वर्ष 2005 में गेस्ट टीचर नियुक्तियों में किस कदर अनियमितताएं हुई, इसका खुलासा शिक्षा विभाग द्वारा कराई गई जांच के बाद सामने आया है। मेवात के फिरोजपुर झिरका खंड में तो एक सहायक पद पर कार्यरत अधिकारी ने बिना किसी नियुक्ति पत्र के ही 150 जेबीटी गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति की। कुल 973 जेबीटी गेस्ट टीचर्स में से 183 की नियुक्तियां नियम विरुद्ध पाई गई। फतेहाबाद में 46, करनाल में 42, कैथल में 26, यमुनानगर में 25, हिसार व अंबाला में 23-23, सिरसा में 21, पंचकूला, पानीपत व भिवानी में 19-19, जींद में 17, पलवल में 15, सोनीपत-कुरुक्षेत्र में 10-10, रोहतक में 8, महेंद्रगढ़-रेवाड़ी में 7-7, झज्जर में 1 आदि सहित कुल 750 नियुक्तियां अनियमित तरीके से पाई गई। अधिकारियों ने जांच रिपोर्ट विभाग को सौंपी, जिसमें 750 अतिथि अध्यापकों की नियुक्ति में नियम का उल्लंघन पाया गया। विभाग ने इन अतिथि अध्यापकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। अतिथि अध्यापकों ने हाईकोर्ट से अंतिम स्थगन आदेश हासिल कर लिया था। हाईकोर्ट ने बाद में एक साथ 115 याचिकाओं की सामूहिक सुनवाई करते हुए निर्णय सुनाया है कि याचिकाकर्ता पहले कारण बताओ नोटिस का तथ्यों सहित जवाब उच्च अथॉरिटी या विद्यालय शिक्षा निदेशक को 23 अगस्त 2011 तक दें। सक्षम अथॉरिटी 30 अगस्त तक इन मामलों को निदेशक के समक्ष रखे व निदेशक सुनवाई कर नियमानुसार उचित निर्णय ले। निदेशक द्वारा मामलों पर अंतिम निर्णय घोषित किए जाने तक ही अतिथि अध्यापकों को हटाने पर रोक कायम रहेगी जहां अब इन अतिथि अध्यापकों के भविष्य का फैसला निदेशक के निर्णय पर टिका है।
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