पंजाब पब्लिक सर्विस कमीशन के चेयरमैन पद पर हरीश राय ढांडा की नियुक्ति से संबंधित रिकार्ड सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की कड़ी फटकार के बाद पंजाब सरकार को पेश करना ही पड़ा। सुनवाई के बाद खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। पिछली सुनवाई में उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार से ढांडा की नियुक्ति से संबंधित रिकार्ड पेश करने के आदेश दिए थे। बावजूद इसके सोमवार को सरकार यह रिकार्ड पेश करने में नाकाम रही। इस पर उच्च न्यायालय के जस्टिस हेमंत गुप्ता, जस्टिस प्रमोद कोहली एवं जस्टिस के. कानन पर आधारित पूर्ण पीठ ने सुनवाई के दौरान ही पंजाब के मुख्य सचिव को स्वयं व्यक्तिगत तौर पर अदालत के सामने रिकार्ड पेश करने के आदेश दिए। दोपहर बाद मुख्य सचिव एससी अग्रवाल खंडपीठ के समक्ष तो हाजिर हो गए, परंतु रिकार्ड न लेकर आने पर उन्हें अदालत ने कड़ी फटकार लगाते हुए तुरंत रिकार्ड पेश करने के आदेश दिए। इस पर पंजाब सरकार का कहना था कि यह एक प्रीविलेज डाक्यूमेंट है, जिसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। इस पर अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए आदेश दिए कि अगर सरकार रिकार्ड नहीं पेश करती है तो उसे अदालत की अवमानना का नोटिस जारी किया जा सकता है। इस पर सरकार ने रिकार्ड पेश करने के लिए समय मांगा, परंतु खंडपीठ ने कहा कि अब सरकार को और समय नहीं दिया जा सकता। खंडपीठ इंतजार कर रही है, पंजाब सरकार फौरन रिकार्ड मंगवाकर अदालत के सामने पेश करे। इसके बाद मुख्य सचिव हरकत में आए और आधे घंटे के बाद रिकार्ड अदालत के समक्ष पेश कर दिया गया। खंडपीठ ने रिकार्ड देख कर सरकार को वापस कर दिया। मुख्य सचिव ने बताया कि पूरा रिकार्ड अदालत के समक्ष पेश कर दिया गया है, जिसमें ढांडा की नियुक्ति की पूरी कार्रवाई एवं मुख्यमंत्री द्वारा राज्यपाल को ढांडा की नियुक्ति की सिफारिश भी शामिल है। इसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि ढांडा इस पद के लिए उचित उम्मीदवार नहीं हैं। वह शिरोमणि अकाली दल के सदस्य हैं व मुख्य संसदीय सचिव रहे हैं। ऐसे में उनसे निष्पक्षता की उम्मीद नहीं की जा सकती। खंडपीठ ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।